राधा ास्वामी जी
"आज हमें एक बहुत बड़ा संदेश मिला है,एक उदाहरण मिला है।हम छोटी छोटी बातों पर सतसंग जाना या सेवा में जाना ही कैंसिल कर लेते है।इतनी बड़ी घटना के बाद भी सतगुरु ने अपनी सेवा में लेशमात्र भी परिवर्तन नहीं किया,न ही गम और मायूसी की एक शिकन तक अपने चेहरे पर आने दी।यह संत का मूक संदेश होता है। बोल बोल के तो सतगुरु थक गए है, अब अपने कर्मों से उदहारण दे कर भी हमें समझा दिया है कि जो बोला और सुना जाता है, उस पर चलना भी है।बहुत पहले सत्संग में एक साखी सुनी थी एक सन्त का बेटा रात में गुजर जाता है ,सन्त उससे बहुत प्यार करता है।अगले दिन सुबह संगत सत्संग सुनने आती है सन्त की पत्नी सोचती है आज सत्संग नहीं होगा,लेकिन निश्चित समय पर सन्त बाहर आते हैं और सत्संग करते हैं,बाद में पत्नी के पूछने पर कहते हैं उसने दिया था,वो वापिस ले गया उसका शुक्रिया है" आज उसी तरह देखो गुरुमां का अभी तक संस्कार भी नहीं हुवा है....और सतगुरु ने अपनी सेवा में कोई परिवर्तन नहीं किया है....शायद सतगुरु हमें इससे ऊपर कोई उदाहरण नहीं दे सकते....आइये आज हम भी संकल्प करे कि सतसंग और सेवा को कभी घर-परिवार की छोटी छोटी बातों के कारण न छोड़े।सतगुरु स्वार्थ और परमार्थ दोनो सुधारेगा।🙏🏻🙏🏻🙏🏻"
राधा ास्वामी जी
बहुत ही प्यारा शब्द दीं दयाल सतगुरु राधा स्वामी शब्द ब्यास
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Radha Soami Ji