RADHA SWAMI JI
चींटी कितनी छोटी ! उसको यदि मुंबई से पूना यात्रा करनी हो, तो लगभग ३-४ जन्म लेना पडेगा । लेकिन यही चींटी पूना जाने वाले व्यक्ति के कपड़े पर चढ़ जाये, तो सहज ही ३-४ घंटे में पूना पहुंच जाएगी कि नहीं !
ठीक इसी प्रकार अपने प्रयास से भवसागर पार करना कितना कठिन ! पता नहीं कई जन्म लग सकते हैं । इसकी अपेक्षा यदि हम गुरू का हाथ पकड लें और उनके बताये सन्मार्ग पर श्रद्धापूर्वक चलें, तो सोचिये कितनी सरलता से वे आपको सुख, समाधान व अखंड आनंदपूर्वक भव सागर पार करा सकते हैं !!
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वे लोग कितने सौभाग्यशाली हैं, जिनके जीवन में गुरु है ।🙏🙏🙏
जिस का रहा करता था हमें कभी ,
हर पल हर घड़ी इंतजार बाबा जी।
कहां खो गया वो हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?
सोम मंगल बीत जाते थे यादों में तेरी ,
सत्संग वाला आ जाता था बुध वीरवार जी।
शुक्र भी रहते यादों में, शनि उत्साहित रहते,
आने वाला है कल,सत्संग वाला इतवार जी।
अब तो ना कोई उमंग , ना कोई उत्साह ,
जिंदगी लगती है बिल्कुल बेकार बाबा जी।
कहां खो गया वो हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?
कितने चाव से और कितने भाव से हम ,
तब सत्संग घर आया करते थे ।
किया करते थे सेवा संगत की और ,
कृपा से झोली भर लाया करते थे ।
खुद मे सिमटा है हर कोई अब तो ,
बन्द हुआ पड़ा हर द्धार बाबा जी ।
कहां खो गया वो हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?
बेशक संगत से हम कई सेवादारों का ,
बर्ताव हुआ करता था अहंकार भरा ।
फिर भी मिल जाता था संगत से ,
हम सब को,प्यार बड़ा, सत्कार बड़ा ।
बख्श दो अब तो हम गुनाहगारों को ,
दे दो, संगत का वोही प्यार बाबा जी ।
कहां खो गया वो हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?
दया कर दो हम पापी जीवों पर ,
CORONA का कर दो संहार दाता ।
दे दो सेवा सत्संग फिर से सब को ,
खोल दो सत्संग घरों के द्बार दाता ।
कर रहा हर कोई सेवादार विनती ,
कर रही सब संगत पुकार बाबा जी ।
कहां खो गया वो हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ।
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