Sunday, May 17, 2020

bhajan sakhi

राधा स्वामी जी🙏🏾


"जब जब चोट पड़ी दुःखन की, तब तब भजन किया रे..”


     #महाराज जी कहते है — बड़े दुःख के साथ कहना पड़ता है, कि हम सत्संगी होकर भी रिश्वत लेते हैं, और रिश्वत देते हैं..!!     संतमत के उसूलों को त्यागकर, दो नंबर के धंधे करके धन इकठा करते हैं..!!    फिर जब सत्संग के उसूलो को छोड़ते है, तब शरीर पर रोग लगते है, और गलत काम के कारण कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ते है..!!    फिर डॉक्टर जवाब दे देता है, आपका इलाज मेरे पास नहीं... और वकील कहता है, आप का केस मेरे बस का नहीं..!!!!    चारो जगह से जब निराश हो जाता है, तब कहता है चलो अब "गुरु" के पास बैठो, कोने में करो प्रार्थना,-फिर भजन में बैठता है..!!!_   मुर्गे की तरह मुख से 'नाम' का सिमरन करता है, पर मन उस तकलीफो की तरफ रहता है...!!फिर भी संत दयालु होते है...
 स्वामीजी महाराज कहते हैं-----बेटा तूने जुबान से सुमरन किया मन से नहीं.... मै तेरे इस भजन को भी मानता हूँ, पर इतना तो करो प्यारे...!!
    बड़े महाराज जी इसे और गहराई से कहते हैं....   कि तू भजन में बैठता है, और तेरे से भजन नहीं होता, तो कम से कम अपनी सफलता नहीं, तो 'असफलता' लेकर मेरे पास आओ.... ताकि मुझे पता चले तुम कोशिश कर रहे हो....!!!!!                Saggu
  🙏🏾😓राधा स्वामी जी🙏🏾

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