Monday, May 18, 2020

राधास्वामी जी

हर  नामें  तुल  न  पुजई
सभु  दिठी  ठोक  बजाय

सच्चे  नाम  के  सिवा  कोई  पूजा  नहीं ।
चाहे  कितने  पुन्य  दान  करो ,
मंदिरों ,  मस्जिदों ,  गुरुद्वारों ,  चर्चों  में  ही  क्यों  न  जाओ ।
कितने  ही  बार  गंगा  स्नान  करो  या  पहाड़ों  तीर्थों  की  ठोकरें  ही  क्यों  न  खाओ ,
उस  नाम  की  बराबरी  नही  कर  सकते ।

हरि  की  पूजा  दुलंभ  है  संतो
मनमुख  थाह  न  पाई  हे

उस  हरि  यानि  परमात्मा  की  भक्ति  बहुत  ही  दुर्लभ  है ।
यह  मनमुखों  के  पले  नहीं  पड़ती ।

गुरुमुख  होय  सो  काया  खोजे

जो  गुरुमुख  होते  हैं  वो  उस  मालिक  की  खोज  अपने  शरीर  के  अंदर  ही  करते  हैं ।
जो  सतगुरु  के  कहने  अांतरिक  सतगुरु  सेवा  में  लगते  हैं ,  उन्हें  सचखंड  में  मान  मिलता  है ।
जिन  सेविया  तिनि  पाइया  मान

🙏राधास्वामी जी🙏

सत्संग सार बन्दीछोड कबीर साहेब

सत्संग सार🌷



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 एक संत हुआ करते थे । उनकी भक्ति इस कदर थीं कि वो अपनी धुन में इतने मस्त हो जाते थे की उनको कुछ होश नहीं रहता था । उनकी अदा और चाल इतनी मस्तानी हो जाती थीं । वो जहाँ जाते , देखने वालों की भीड़ लग जाती थी। और उनके दर्शन के लिए लोग जगह -जगह पहुँच जाते थे । उनके चेहरे पर तेज साफ झलकता था।
वो संत रोज सुबह चार बजे उठकर ईश्वर का नाम लेते हुए घूमने निकल जाते थे। एक दिन वो रोज की तरह अपने मस्ती में मस्त होकर झूमते हुए जा रहे थे।
रास्ते में उनकी नज़र एक देव पर पड़ी और उस देव के हाथ में एक डायरी थीं । संत ने देव को रोककर पूछा आप यहाँ क्या कर रहे हैं  प्रभु ! और ये डायरी में क्या है ? देव ने जवाब दिया कि इसमें उन लोगों के नाम है जो ईश्वर को याद करते है ।
यह सुनकर संत की इच्छा हुई की उसमें उनका नाम है कि नहीं, उन्होंने पुछ ही लिया की, क्या मेरा नाम है इस डायरी में ? देव ने कहा आप ही देख लो और डायरी संत को दे दी । संत ने डायरी खोलकर देखी तो उनका नाम कही नहीं था । इस पर संत थोड़ा मुस्कराये और फिर वह अपनी मस्तानी अदा में ईश्वर को याद करते हुए चले गये ।

दूसरे दिन फिर वही देव वापस दिखाई दिये पर इस बार संत ने ध्यान नहीं दिया और अपनी मस्तानी चाल में चल दिये।इतने में देव ने कहा आज नहीं देखोगे डायरी । तो संत मुस्कुरा दिए और कहा, दिखा दो और जैसे ही डायरी खोलकर देखा तो, सबसे ऊपर उन्ही संत का नाम था
इस पर संत हँस कर बोले क्या ईश्वर के यहाँ पर भी दो-दो डायरी हैं क्या ? कल तो था नहीं और आज सबसे ऊपर है ।
इस पर देव ने कहा की आप ने जो कल डायरी देखी थी, वो उनकी थी जो लोग ईश्वर से प्यार करते हैं । आज ये डायरी में उन लोगों के नाम है, जिनसे ईश्वर स्वयं प्यार करता है ।
बस इतना सुनना था कि वो संत दहाड़ मारकर रोने लगे, और कितने घंटों तक वही सर झुकाये पड़े रहे, और रोते हुए ये कहते रहे हे ईश्वर यदि में कल तुझ पर जरा सा भी संशय कर लेता तो मेरा नाम कही नहीं होता । पर मेरे जरा से संतोष पर तु मुझ अभागे को इतना बड़ा पुरस्कार देगा । तू सच में बहुत दयालु हैं तुझसे बड़ा प्यार करने वाला कोई नहीं और बार-बार रोते रहे।।

ईश्वरीय शक्तियाँ और वरदान तो सूक्ष्म हैं। जैसे बरसात पड़ती है तो प्यासी धरती उसे सोख लेती है और बदले में हरी भरी होकर जगत की पालन करती है। सूर्य की धूप आती है उसे मानव शरीर, पेड़-पौधे, जीव-जंतु ग्रहण कर उपयोग में लाते हैं। हवा चलती है उससे भी मानव तथा पर्यावरण लाभान्वित होता है। ये सब भौतिक शक्तियाँ हैं जिन्हें स्थूल जगत प्राप्त करता है और अपनी क्रियाओं को चलाता है। परमात्मा तेरी मुझपर सर्वदा अनुकम्पा है



प्रेषक-
बन्दीछोड कबीर साहेब

Sunday, May 17, 2020

सन्त खुद उदाहरण बनते हैं राधा ास्वामी जी


राधा ास्वामी जी 


"सन्त खुद उदाहरण बनते हैं...."

"आज हमें एक बहुत बड़ा संदेश मिला है,एक उदाहरण मिला है।हम छोटी छोटी बातों पर सतसंग जाना या सेवा में जाना ही कैंसिल कर लेते है।इतनी बड़ी घटना के बाद भी सतगुरु ने अपनी सेवा में लेशमात्र भी परिवर्तन नहीं किया,न ही गम और मायूसी की एक शिकन तक अपने चेहरे पर आने दी।यह संत का मूक संदेश होता है। बोल बोल के तो सतगुरु थक गए है, अब अपने कर्मों से उदहारण दे कर भी हमें समझा दिया है कि जो बोला और सुना जाता है, उस पर चलना भी है।बहुत पहले सत्संग में एक साखी सुनी थी एक सन्त का बेटा रात में गुजर जाता है ,सन्त उससे बहुत प्यार करता है।अगले दिन सुबह संगत सत्संग सुनने आती है सन्त की पत्नी सोचती है आज सत्संग नहीं होगा,लेकिन निश्चित समय पर सन्त बाहर आते हैं और सत्संग करते हैं,बाद में पत्नी के पूछने पर कहते हैं उसने दिया था,वो वापिस ले गया उसका शुक्रिया है" आज उसी तरह देखो गुरुमां का अभी तक संस्कार भी नहीं हुवा है....और सतगुरु ने अपनी सेवा में कोई परिवर्तन नहीं किया है....शायद सतगुरु हमें इससे ऊपर कोई उदाहरण नहीं दे सकते....आइये आज हम भी संकल्प करे कि सतसंग और सेवा को कभी घर-परिवार की छोटी छोटी बातों के कारण न छोड़े।सतगुरु स्वार्थ और परमार्थ दोनो सुधारेगा।🙏🏻🙏🏻🙏🏻"



राधा ास्वामी जी 


बहुत ही प्यारा शब्द दीं दयाल सतगुरु राधा स्वामी शब्द ब्यास 








मुम्बई भायंदर में आज के सत्संग पश्चात सवाल जवाब के वक़्त


राधास्वामीजी




मुम्बई भायंदर में आज के सत्संग पश्चात सवाल जवाब के वक़्त एक सवाल आया एक लड़की का
कि मेरा मायका ब्राम्हण समाज से है पर हमने नामदान लिया हुआ है तो श्राद्ध के वक़्त मायके से बारबार न्यौता आता है खाना खाने के लिए तो पति नही जाने देते , कहते हैं कि उनके पास यहाँ वहाँ से आटा घी चावल आए हुए होते हैं हमने नही खाना चाहिए तो इस पर क्या किया जाए
बाबाजी कहते हैं आप खुद जो सही समझें वह करें पर हमेशा देने का भाव रखें लेने का नही
एक ही लाइन में बहुत बड़ी बात कह दी मालिक ने
समझें तो बस इतना ही काफी है हमारे लिए
आज की जेहन में अटकी सबसे बड़ी बात👆🏻
राधास्वामीजी


SATSANGIS ARE SPECIAL


SATSANGIS ARE SPECIAL, AND NON— SATSANGIS ARE......"



Many of us label everyone who has been initiated as "satsangi" and call other people "non satsangi". In this way we veiw the sangat as if it were an exclusive club, as if all the "members of this club" are special, or even superior to those who are not initated. Calling people satsangis or non satsangis  or "Radha Soamis we slip mindlessly into the age - old human tendency of drawing a sharp line between" us"and "them"
What do we mean when we say "I come from a satsangi family" or "Do you come from a satsangi family"? How can a family be "satsangi"? Sat means truth, and Sang means association with. Satsangi means one who is in the company of truth. A real satsangi is one who has merged in the "SHABD" merged in Spiritual Truth. The rest of us are seeking. We may call ourselves initiates, we may call ourselves Seekers. If we're honest and think clearly, we'd hesitate to call ourselves "SATSANGIS"
Some of us frame our choice of a marriage partner in terms of satsangi vs non- satsangi. Some of us name our business Radha Soami grocery shop. We print stickers or paint Radha Soami on our cars to advertise to the world that we belong to the "satsangi" club
What are we doing? Aren't we treating our Master's sangat as if it were an exclusive social group? Aren't we making a division of "us" vs "them"? When we label others as non - satsangis do we judge them as being either inferior or somehow misguided or just simply "not one of us"?
In question and answer sessions whenever a questioner refers to someone as a non - satsangi, the present Master says something like : HOW DOES IT MAKE A DIFFERENCE? A satsangi is one who has realized the Shabd. We are still seeking, so there is no difference.
When someone complains about other's criticizing our way of life, Master says something like : if you want them to respect your way of life, you have to respect their way of life. Who are we to say our philosophy is right and theirs is wrong?. He often points out that the Lord's love is there for each and every being in equal measure. In the Lord's eyes, all the distinctions we make –cast, creed, religion – do not exist. For the Lord, we are all souls yearning for union with Him.
In his satsangs the present Master often hammers  home the point that Huzur spent 40 years helping us to go beyond our religions, caste, countries and colour. So why He asks, are we creating new boundaries?
"LETS NOT DIVIDE GOD'S UNDIVIDED FAMILY INTO" US AND " THEM"

RADHA SWAMI JI 




Q&As answered during Babaji’s Singapore Satsang 2020.



Some key take aways from Q&As answered during Babaji’s Singapore Satsang 2020.


1. As long as you are doing simran, I am present with you.
2. An achiever makes spiritual progress as well as material progress. It is good to be ambitious, but be mindful of the means to get there. Yet, your priority must always remain spiritual progress within.
3. Just show up for meditation. You have to do nothing else. He will do the rest.
4. Do not have any expectations from your meditation or not do it for any purpose. Do it simply because it pleases Him, and since He has asked you to do it.
5. Eat simple food and less variety. Just Dal Roti is enough. Only eat to live.
6. No matter what others think or make fun of you, you stick to the principles.
7. Do not react. Just walk away, if necessary. Don’t be a door mat. If you do not react, you will create no karma.
8. Do not lie. If you cannot say the truth, do not answer - keep quiet.
9. Divorce is not part of destiny, and is not endorsed. You committed to stay married through good times and tough times, and only let death do you apart.
10. We all wish to become one with the Father. So if the Lord showers His Grace on our partner or loved ones and takes him/her back, then we should accept His will, and be happy. Not sad.
11. Do not just keep talking about climate change and problems of the world. Do your mediation and change yourself within. Then automatically, you will love His creation more and take action and not just talk. And yes, one should use less plastic and take steps to save the environment.
12. Meditation is the only thing that keeps you sane in this world. If you won’t do it, you will be swept away in this creation, and it is the reason for your suffering.

यह कहानी अवश्य पढ़ें और चिंतन करें राधा स्वामी जी

राधा स्वामी जी 


यह कहानी अवश्य पढ़ें और चिंतन करें।



एक शख्स सुबह सवेरे उठा साफ़ कपड़े पहने और सत्संग घर की तरफ चल दिया ताकि सतसंग का आनंद प्राप्त कर सके.
चलते चलते रास्ते में ठोकर खाकर गिर पड़ा.
कपड़े कीचड़ से सन गए वापस घर आया.
कपड़े बदलकर वापस सत्संग  की तरफ रवाना हुआ फिर ठीक उसी जगह ठोकर खा कर गिर पड़ा और वापस घर आकर कपड़े बदले.
फिर सत्संग की तरफ रवाना हो गया.
जब तीसरी बार उस जगह पर पहुंचा तो क्या देखता है की एक शख्स चिराग हाथ में लिए खड़ा है और उसे अपने पीछे पीछे चलने को कह रहा है.
 इस तरह वो शख्स उसे सत्संग घर के दरवाज़े तक ले आया. पहले वाले शख्स ने उससे कहा आप भी अंदर आकर सतसंग सुन लें.
लेकिन वो शख्स चिराग हाथ में थामे खड़ा रहा और सत्संग घर  में दाखिल नही हुआ.
दो तीन बार इनकार करने पर उसने पूछा आप अंदर क्यों नही आ रहे है ...?
दूसरे वाले शख्स ने जवाब दिया "इसलिए क्योंकि मैं काल हूँ,
 ये सुनकर पहले वाले शख्स की हैरत का ठिकाना न रहा।
काल  ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा मैं ही था जिसने आपको ज़मीन पर गिराया था.
जब आपने घर जाकर कपड़े बदले और दुबारा सत्संग घर  की तरफ रवाना हुए तो भगवान ने आपके सारे पाप क्षमा कर दिए. जब मैंने आपको दूसरी बार गिराया और आपने घर जाकर फिर कपड़े बदले और फिर दुबारा जाने लगे तो भगवान ने आपके पूरे परिवार के गुनाह क्षमा कर दिए.
मैं डर गया की अगर अबकी बार मैंने आपको गिराया और आप फिर कपड़े बदलकर  चले गए तो कहीं ऐसा न हो वह आपके सारे गांव के लोगो के पाप क्षमा कर दे. इसलिए मैं यहाँ तक आपको खुद पहुंचाने आया हूँ.

अब हम देखे कि उस शख्स ने दो बार गिरने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और तीसरी बार फिर  पहुँच गया और एक हम हैं यदि हमारे घर पर कोई मेहमान आ जाए या हमें कोई काम आ जाए तो उसके लिए हम सत्संग छोड़ देते हैं, भजन जाप छोड़ देते हैं। क्यों....???
क्योंकि हम जीव अपने भगवान से ज्यादा दुनिया की चीजों और रिश्तेदारों से ज्यादा प्यार करते हैं।
उनसे ज्यादा मोह हैं। इसके विपरीत वह शख्स दो बार कीचड़ में गिरने के बाद भी तीसरी बार फिर घर जाकर कपड़े बदलकर सत्संग घर चला गया। क्यों...???
क्योंकि उसे अपने दिल में भगवान के लिए बहुत प्यार था। वह किसी कीमत पर भी अपनी बंदगीं का नियम टूटने नहीं देना चाहता था।
 इसीलिए काल ने स्वयं उस शख्स को मंजिल तक पहुँचाया, जिसने कि उसे दो बार कीचड़ में गिराया और मालिक की बंदगी में रूकावट डाल रहा था, बाधा पहुँचा रहा था !

इसी तरह हम जीव भी जब हम भजन-सिमरन पर बैठे तब हमारा मन चाहे कितनी ही चालाकी करे या कितना ही बाधित करे, हमें हार नहीं माननी चाहिए और मन का डट कर मुकाबला करना चाहिए।
एक न एक दिन हमारा मन स्वयं हमें भजन सिमरन के लिए उठायेगा और उसमें रस भी लेगा।
बस हमें भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और न ही किसी काम के लिए भजन सिमरन में ढील देनी हैं। वह मालिक आप ही हमारे काम सिद्ध और सफल करेगा।
इसीलिए हमें भी मन से हार नहीं माननी चाहिए और निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए जी...

                    🙏🏻राधा स्वामी जी 

रूहानी नदी RADHA SWAMI JI

रूहानी नदी



जिस तरह नदी में बाढ़ आने पर तेज़ पानी के बहाव के कारण पूरा कचरा-कुचरा व नदी में जमा मैल भी उस बाढ़ के साथ ही बह जाता है,और नदी स्वच्छ व साफ हो जाती है और अच्छे से बहने लगती है बस * *उसी तरह हमें अपने मन के अंदर बसी विकारों रूपी नदी के अंदर भजन-सिमरन रूपी पानी से ,कम से कम इतना बहाव पैदा करना है ,इतनी बाढ़ लानी है कि काम , क्रोध , लोभ , मोह व अहंकार रूपी कचरा पूरी तरह से बहकर निकल जाये और रूहानियत में आगे का रास्ता साफ होता जाये क्योंकि जब तक कचरा भरा रहेगा तब-तक आगे बढ़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है
Radha Soami ji🙏🏻

राधा स्वामी जी

राधा स्वामी जी 


हमारी आँखे भी वही लोग खोलते हैं
जिन  पर  हम आँख  बंद करके
विश्वास करते हैं.....

    'संभल' कर चल 'नादान' ,
    ये 'इंसानों' की बस्ती हैं ...

    ये 'रब' को भी 'आजमा' लेते हैं
     फिर 'तेरी' क्या हस्ती हैं ...!!!


 

जीवन बहुत छोटा है, उसे जियो.
प्रेम दुर्लभ है, उसे पकड़ कर रखो.
क्रोध बहुत खराब है, उसे दबा कर रखो.
भय बहुत भयानक है, उसका सामना करो.
स्मृतियां बहुत सुखद हैं, उन्हें संजो कर रखो.
 अगर आपके पास मन की
          शांति है तो.....
    समझ लेना आपसे अधिक
          भाग्यशाली कोई नहीं है.!!


सोच का प्रभाव
         मन पर होता है
मन का प्रभाव
         तन पर होता है

तन और मन दोनों  का प्रभाव
       सारे जीवन पर होता है
     
 इसलिये सदा अच्छा सोचें और खुश रहें.....हंसते मुस्कराते रहिये ....

🔥 संत वचन 🔥 RADHA SWAMI JI

आओ कहानी सुने🕸🔥 संत वचन 🔥

〰〰☘〰〰🏕
एक संत के पास 30 सेवक रहते थे ।    आगे अरदास की महाराज जी 🙏🏻 मेरी बहन की शादी है तो आज एक महीना रह गया है तो मैं दस दिन के लिए वहां जाऊंगा ।   कृपा करें ! आप भी साथ चले तो अच्छी बात है ।  गुरु जी ने कहा बेटा देखो टाइम बताएगा ।  नहीं तो तेरे को तो हम जानें ही देंगे उस सेवक ने बीच-बीच में इशारा गुरु जी की तरफ किया कि गुरुजी कुछ ना कुछ मेरी मदद कर दे !  आखिर वह दिन नजदीक आ गया सेवक ने कहा गुरु जी कल सुबह जाऊंगा मैं । गुरु जी ने कहा ठीक है बेटा !

सुबह हो गई जब सेवक जाने लगा तो गुरु जी ने उसे 5 किलो अनार दिए और कहा ले जा बेटा भगवान तेरी बहन की शादी खूब धूमधाम से करें दुनिया याद करें कि ऐसी शादी तो हमने कभी देखी ही नहीं और साथ में दो सेवक भेज दिये जाओ तुम शादी पूरी करके आ जाना ।  जब सेवक घर से निकले 100 किलोमीटर गए तो मन में आया जिसकी बहन की शादी थी वह सेवक से बोला गुरु जी को पता ही था कि मेरी बहन की शादी है और हमारे पास कुछ भी नहीं है फिर भी गुरु जी ने मेरी मदद नहीं की ।  दो-तीन दिन के बाद वह अपने घर पहुंच गया ।  उसका घर राजस्थान रेतीली इलाके में था वहां कोई फसल नहीं होती थी ।  वहां के राजा की लड़की बीमार हो गई तो वैद्यजी ने बताया कि इस लड़की को अनार के साथ यह दवाई दी जाएगी तो यह लड़की ठीक हो जाएगी ।  राजा ने मुनादी करवा रखी थी अगर किसी के पास आनार है तो राजा उसे बहुत ही इनाम देंगे । इधर मुनादी वाले ने आवाज लगाई अगर किसी के पास आनार है तो जल्दी आ जाओ, राजा को अनारों की सख्त जरूरत है । जब यह आवाज उन सेवकों के कानों में पड़ी तो वह सेवक उस मुनादी वाले के पास गए और कहा कि हमारे पास आनार है, चलो राजा जी के पास । राजाजी को अनार दिए गए अनार का जूस निकाला गया और लड़की को दवाई दी गई तो लड़की ठीक-ठाक हो गई । राजा जी ने पूछा तुम कहां से आए हो, तो उसने सारी हकीकत बता दी तो राजा ने कहा ठीक है  तुम्हारी बहन की शादी मैं करूंगा ।  राजा जी ने हुकुम दिया ऐसी शादी होनी चाहिए कि लोग यह कहे कि यह राजा की लड़की की शादी है सब बारातियों को सोने चांदी गहने के उपहार दिए गए बरात की सेवा बहुत अच्छी हुई लड़की को बहुत सारा धन दिया गया ।  लड़की के मां-बाप को बहुत ही जमीन जायदाद व आलीशान मकान और बहुत सारे  रुपए पैसे दिए गए ।  लड़की भी राजी खुशी विदा होकर चली गई ।  *अब सेवक सोच रहे हैं कि गुरु की महिमा गुरु ही जाने ।  हम ना जाने क्या-क्या सोच रहे थे गुरु जी के बारे में ।   गुरु जी के वचन थे जा बेटा तेरी बहन की शादी ऐसी होगी कि दुनियां देखेगी ।

     संत वचन हमेशा सच होते हैं ।

शिक्षा......
संतों के वचन के अंदर ताकत होती है लेकिन हम नहीं समझते । जो भी वह वचन निकालते हैं वह सिद्ध हो जाता है ।   हमें संतों के वचनों के ऊपर अमल करना चाहिए और विश्वास करना चाहिए ना जाने संत मोज में आकर क्या दे दे और रंक से राजा बना दे ।
〰〰♦〰〰🌸〰〰
☘असार में भी सार खोज लो तो जाने☘
☘ दुःख में भी सुख खोज लो तो जाने☘
☘यों तो धरा पर बहुत से लोग है☘
☘पर तुम स्वयं में भगवान खोज लो तो जाने।☘


👏👏👏👏👏👏!

हकीकत🍫 RADHA SWAMI JI

हकीकत🍫


रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क के किनारे कटोरा लिए एक भिखारी लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने कटोरे में पड़े सिक्कों को हिलाता रहता और साथ-साथ यह गाना भी गाता जाता -
गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा -२
तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा
गरीबों की सुनो ..."

कटोरे से पैदा हुई ध्वनि व उसके गीत को सुन आते-जाते मुसाफ़िर उसके कटोरे में सिक्के डाल देते।

सुना था, इस भिखारी के पुरखे शहर के नामचीन लोग थे! इसकी ऐसी हालत कैसे हुई यह अपने आप में शायद एक अलग कहानी हो!

आज भी हमेशा की तरह वह अपने कटोरे में पड़ी चिल्हर को हिलाते हुए, 'ग़रीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा....' वाला गीत गा रहा था।

तभी एक व्यक्ति भिखारी के पास आकर एक पल के लिए ठिठकर रुक गया। उसकी नजर भिखारी के कटोरे पर थी फिर उसने अपनी जेब में हाथ डाल कुछ सौ-सौ के नोट गिने। भिखारी उस व्यक्ति को इतने सारे नोट गिनता देख उसकी तरफ टकटकी बाँधे देख रहा था कि शायद कोई एक छोटा नोट उसे भी मिल जाए।

तभी उस व्यक्ति ने भिखारी को संबोधित करते हुए कहा, "अगर मैं तुम्हें हजार रुपये दूं तो क्या तुम अपना कटोरा मुझे दे सकते हो?"

भिखारी अभी सोच ही रहा था कि वह व्यक्ति बोला, "अच्छा चलो मैं तुम्हें दो हजार देता हूँ!"

भिखारी ने अचंभित होते हुए अपना कटोरा उस व्यक्ति की ओर बढ़ा दिया और वह व्यक्ति कुछ सौ-सौ के नोट उस भिखारी को थमा उससे कटोरा ले अपने बैग में डाल तेज कदमों से स्टेशन की ओर बढ़ गया।

इधर भिखारी भी अपना गीत बंद कर वहां से ये सोच कर अपने रास्ते हो लिया कि कहीं वह व्यक्ति अपना मन न बदल ले और हाथ आया इतना पैसा हाथ से निकल जाए।
और भिखारी ने इसी डर से फैसला लिया अब वह इस स्टेशन पर कभी नहीं आएगा - कहीं और जाएगा!

रास्ते भर भिखारी खुश होकर  यही सोच रहा था कि 'लोग हर रोज आकर सिक्के डालते थे,
पर आज दौ हजार में कटोरा! वह कटोरे का क्या करेगा?' भिखारी सोच रहा था?

उधर दो हजार में कटोरा खरीदने वाला व्यक्ति अब रेलगाड़ी में सवार हो चुका था। उसने धीरे से बैग की ज़िप्प खोल कर कटोरा टटोला - सब सुरक्षित था। वह पीछे छुटते नगर और स्टेशन को देख रहा था। उसने एक बार फिर बैग में हाथ डाल कटोरे का वजन भांपने की कोशिश की। कम से कम आधा किलो का तो होगा!

उसने जीवन भर धातुओं का काम किया था। भिखारी के हाथ में वह कटोरा देख वह हैरान हो गया था। सोने का कटोरा! .....और लोग डाल रहे थे उसमें एक-दो के सिक्के!

उसकी सुनार वाली आँख ने धूल में सने उस कटोरे को पहचान लिया था। ना भिखारी को उसकी कीमत पता थी और न सिक्का डालने वालों को पर वह तो जौहरी था, सुनार था।

भिखारी दो हजार में खुश था और जौहरी कटोरा पाकर! उसने लाखों की कीमत का कटोरा दो हजार में जो खरीद लिया था।

 इसी तरह हम भी अपने अनमोल काया की उपयोगिता को भूले बैठे है और उसे एक सामान्य कटोरे की भाँति समझ कर कौड़ियां इक्कट्ठे करने में लगे हुए हैं।

ये इंसानी जन्म 84 लाख योनियों के बाद मिला है।इसे ऐसे ही ना गवाएं।हर समय परमात्मा के नाम का सुमिरन कर के अपना जीवन सफल बनायें!

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

सतगुरु ईश्वर का दर्द RADHA SWAMI JI

सतगुरु ईश्वर का दर्द 


एक बूँद जो सागर का अंश थी एक बार हवा के संग बादलोँ तक पहुँच गई इतनी ऊँचाई पाकर उसे बड़ा अच्छा लगा अब उसे सागर के आँचल मेँ कितने ही दोष नज़र आने लगे लेकिन अचानक एक दिन बादल ने उसे ज़मीन पर एक गंदे नाले मेँ पटक दिया एकाएक उसके सारे सपने, सारे अरमां चकनाचूर हो गए ये एक बार नहीँ अनेकोँ बार हुआ वो बारिश बन नीचे आती, फिर सूर्य की किरणेँ उसे बादल तक पहुँचा देती अब उसे अपने सागर की बहुत याद आने लगी उससे मिलने को वो बेचैन हो गई बहुत तड़पी, बहुत तड़पी फिर एक दिन सौभाग्यवश एक नदी के आँचल मेँ जा गिरी उस नदी ने अपनी बहती रहनुमाई मेँ उसे सागर तक पहुँचा दिया।

सागर को सामने देख बूँद बोली हे मेरे पनाहगार सागर मैँ शर्मसार हूँ अपने किये कि सज़ा भोग चुकी हूँ आपसे बिछुड़ कर मैँ एक पल भी शांत ना रह पाई दिन-रैन दर्द भरे आँसू बहाए हैँ अब बस इतनी प्रार्थना है कि आप मुझे अपने पवित्र आँचल मेँ समेट लो सागर बोला - बूँद तुझे पता है तेरे बिन मैँ कितना तड़पा हूँ ! तुझे तो दुःख सहकर एहसास हुआ लेकिन मैँ-मैँ तो उसी वक्त से तड़प रहा हूँ जब तूने पहली बार हवा का संग किया था तभी से तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ और जानती है उस नदी को मैँने ही तेरे पास भेजा था अब आ ! आजा मेरे आँचल मेँ बूँद आगे बढ़ी और सागर मेँ समा गई । बूँद सागर बन गई ये बूँद कोई और नहीँ ; हम सब ही वो बूँदेँ हैँ, जो अपने आधारभूत सागर उस परमात्मा से बिछुड़ गई हैँ। इसलिए ना जाने कितने जन्मोँ से भटक रहे हैँ और वो ईश्वर ना जाने कब से हमसे मिलने को तड़प रहा है उनका वो दर्द वो तड़प ही "पूर्ण सद्‌गुरु" के रुप मेँ इस धरती पर बार-बार अवतरित होता है । हमेँ उनसे मिलाने के लिए ही ये नदिया सत्संग है.

RADHA SWAMI JI MOTIVATION THOUGHT

RADHA SWAMI JI 


एक महिला की आदत थी, कि वह हर रोज सोने से पहले, अपनी दिन भर की खुशियों को एक काग़ज़ पर, लिख लिया  करती थीं.... एक रात उन्होंने लिखा :
मैं खुश हूं, कि मेरा पति पूरी रात, ज़ोरदार खर्राटे लेता है. क्योंकि वह ज़िंदा है, और मेरे पास है. ये ईश्वर का, शुक्र है..
मैं खुश हूं, कि मेरा बेटा सुबह सबेरे इस बात पर झगड़ा करता है, कि रात भर मच्छर - खटमल सोने नहीं देते. यानी वह रात घर पर गुज़रता है, आवारागर्दी नहीं करता. ईश्वर का शुक्र है..
मैं खुश हूं, कि, हर महीना बिजली, गैस,  पेट्रोल, पानी वगैरह का, अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है. यानी ये सब चीजें मेरे पास, मेरे इस्तेमाल में हैं. अगर यह ना होती, तो ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती ? ईश्वर का शुक्र है..
मैं खुश हूं, कि दिन ख़त्म होने तक, मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है. यानी मेरे अंदर दिन भर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत, सिर्फ ईश्वर की मेहर से है..
मैं खुश हूं, कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोछा करना पड़ता है, और दरवाज़े -खिड़कियों को साफ करना पड़ता है. शुक्र है, मेरे पास घर तो है. जिनके पास छत नहीं, उनका क्या हाल होता होगा ? ईश्वर का, शुक्र है..
मैं खुश हूं, कि कभी कभार, थोड़ी बीमार हो जाती हूँ. यानी मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं. ईश्वर का, शुक्र है..
मैं खुश हूं, कि हर साल त्यौहारो पर तोहफ़े देने में, पर्स ख़ाली हो जाता है. यानी मेरे पास चाहने वाले, मेरे अज़ीज़, रिश्तेदार, दोस्त, अपने हैं, जिन्हें तोहफ़ा दे सकूं. अगर ये ना हों, तो ज़िन्दगी कितनी बेरौनक हो..? ईश्वर का, शुक्र है..
मैं खुश हूं, कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर, उठ जाती हूँ. यानी मुझे हर रोज़, एक नई सुबह देखना नसीब होती है. ये भी, ईश्वर का ही करम है..
जीने के इस फॉर्मूले पर अमल करते हुए, अपनी और अपने लोगों की ज़िंदगी, सुकून की बनानी चाहिए. छोटी या बड़ी परेशानियों में भी, खुशियों की तलाश करिए, हर हाल में, उस ईश्वर का शुक्रिया कर, जिंदगी खुशगवार बनाए..,!!!!
सिर्फ पढ़कर छोड़े नहींएक बार विचार कर अपनी जिंदगी में अमल जरूर करे ।
Think Positive in each & every situation.

RADHA SWAMI JI VACHAN

RADHA SWAMI JI



क्या समा बांधा था बयां नहीँ कर सकते🙏🏼
कल अजमेर में बाबाजी आए वहां कुछ बच्चों ने सवाल जवाब किए। एक मुस्लिम बच्चा;-सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सूफी शहर में आपका बहुत-बहुत स्वागत है। आपकी रुह जब उस मांगी आत्मानी मियां जब सुल्तानी को पकड़ती हुई उस अल्लाह से मिलती है तो आपको जो अनुभव हुआ उससे दो टुक शायराना अंदाज में बयां करे।

बाबा जी ने कहा- इश्क अल्लाह की जात है, इश्क अल्लाह का रंग, इश्क अल्लाह की इबादत,  इश्क अल्लाह का ढंग।

बच्चा - इश्क तो सारे ही करने हैं यह कौन सा इश्क है क्या यह ऐसा इश्क है जो परमात्मा से हुआ है।

बाबा जी ने कहा- दो तरह के इश्क होते हैं एक मिजाजी जो आज हम लोग कर रहे हैं और एक होता है हकीकी जो हीर रांझा ने किया था जिसमें हीर ने बोला था रांझा रांझा करदी नी मैं आपे रांझा होई जिसमें दो इश्क करने वाले एक हुए थे तो वहां जरूरत इश्क हकीकी है हम जो करते हैं वह इश्क मिजाजी है जो हमारे मिजाज से बदलता है लेकिन शुरुआत इश्क मिजाजी से होती है

बच्चा। - जो आपने खुदाई बरसाई है वह खुदाई बरसाते रहें और मोमिनो को मदहोश करते रहे।

bhajan sakhi

राधा स्वामी जी🙏🏾


"जब जब चोट पड़ी दुःखन की, तब तब भजन किया रे..”


     #महाराज जी कहते है — बड़े दुःख के साथ कहना पड़ता है, कि हम सत्संगी होकर भी रिश्वत लेते हैं, और रिश्वत देते हैं..!!     संतमत के उसूलों को त्यागकर, दो नंबर के धंधे करके धन इकठा करते हैं..!!    फिर जब सत्संग के उसूलो को छोड़ते है, तब शरीर पर रोग लगते है, और गलत काम के कारण कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ते है..!!    फिर डॉक्टर जवाब दे देता है, आपका इलाज मेरे पास नहीं... और वकील कहता है, आप का केस मेरे बस का नहीं..!!!!    चारो जगह से जब निराश हो जाता है, तब कहता है चलो अब "गुरु" के पास बैठो, कोने में करो प्रार्थना,-फिर भजन में बैठता है..!!!_   मुर्गे की तरह मुख से 'नाम' का सिमरन करता है, पर मन उस तकलीफो की तरफ रहता है...!!फिर भी संत दयालु होते है...
 स्वामीजी महाराज कहते हैं-----बेटा तूने जुबान से सुमरन किया मन से नहीं.... मै तेरे इस भजन को भी मानता हूँ, पर इतना तो करो प्यारे...!!
    बड़े महाराज जी इसे और गहराई से कहते हैं....   कि तू भजन में बैठता है, और तेरे से भजन नहीं होता, तो कम से कम अपनी सफलता नहीं, तो 'असफलता' लेकर मेरे पास आओ.... ताकि मुझे पता चले तुम कोशिश कर रहे हो....!!!!!                Saggu
  🙏🏾😓राधा स्वामी जी🙏🏾

RADHA SWAMI JI SIMRAN KARO

-Radha Soami Ji 






----- सिमरन में मन न लगे ------------ तो भजन करो ------------ भजन में मन न लगे ------------ तो प्रार्थना करने लगो ------------ प्रार्थना में मन न लगे ------------ तो रोने लगो ------------ यदि रो भी न सको ------------ तो उठकर बैठ जाओ ------------ और अपने कर्मों पर पश्चाताप करो ------------ ऐसा भी न कर सको ------------ और मन तुम्हारा ------------ इधर-उधर तरंगों में बहता रहे ------------ तो शरीर को ही ------------ एक जगह टिका के रखो ------------ ये सब साधन ------------ उसी मार्ग पर जाने के हैं ------------ सब एक ही विचारधारा में ------------ एक ही दिन में नहीं हो सकते ------------ जिसमें जितनी गन्दगी है ------------ वह उसी के अनुसार ------------ धीरे-धीरे साफ होगी ------------ मौत होगी ------------ इस बात को सदा याद रखो ------------ मौत होने के पहले ------------ एक बार और दर्शन कर लूं ------------ ऐसी लगन लगाए रखो -----

Radha Soami Ji :)

Radha swami ji latest news 2020

💦RADHA SOAMI JI.....EK NAI KHUSH KHABRI AAI HAI.....



RADHA SOAMI JI SAD SANGAT JI.....


YE BAAT KITNI SACH HAI YE TO NAHI PATA ....MAGAR SUNNE ME BAHUT HI ANAND AAYA HAI JI.....


🎉BEAS KI SATSANG WALI SHED N 5 NO. GATE TAK BANNE WALI HAI JI. AAJ SE KAAM START HO GYA HAI JI. AUR DARYA KE PAS UNDERGROUND METRO BANEGI JI. KAL BABA JI NE MEETING ME BOLA MUJHE DECEMBER TAK SARA COMPLETELY CHAHIYE. EK CAROR SANGAT KI SHED KI PERMISSION DE DI MALIK NE......✍🏻
🍃RADHA SOAMI JI.....TO ALL BABA JIS LOVING SADSANGAT JI.....SHAYAD AAP JI KO BI SUNKAR BAHUT KBUSHI HUI HOGI...HAMARE SANT SATGURU JI HAMARE LIYE KITNA KAR RAHE HAI JI....LAKH LAKH SHUKAR HAI MERE SONE SATGURU KA.....
VADDE MERE SAHIBA.....VADDI TERI VADEYAI.....

राधा सवामी जी

ऐसा भी वक़्त आएगा पता नहीं थामालिक का दर भी बंद हो जाएगा पता नहीं थाभागते थे जिसके दर्शनो को उसकी एक झलक पाने को तरस जाएँगे पता नहीं थाऐसा भी वक़्त आएगा पता नहीं थाबहुत ज़्यादा मिलता था हमे इसलिए क़दर नहीं कीअब एक दिन एक पल बाप को मिलने को तरसेंगे पता नहीं थाऐसा भी एक वक़्त आएगा पता नहीं था
तेरा सत्संग, तेरे दर्शन, तेरे सवाल जावाब के दौरान वाली हँसीइन सबके लिए रोएँगे ऐसा पता नहीं था
तुम कह कह कर थक गए की भजन सिमरन करो भजन सिमरन करोअब सच में भजन सिमरन करवा रहे हो डंडे के बल पे ऐसा सोचा ना था
ऐसा भी वक़्त आएगा कभी सोचा ना था
तुम सदा सलामत रहो हँसते बस्ते रहोहमारा तो दिल यही पुकारता बाबाजी
वक़्त का क्या है आज बुरा है तो कल अच्छा भी आएगा
तुमसे इतना प्यार मिल रहा ऐसा भी कभी सोचा ना था के इतने क़रीब आ जाओगे ये भी तो कभी सोचा ना थाराधा सवामी जी....








sakhi radha swami ji


RADHA SWAMI JI


चींटी कितनी छोटी ! उसको यदि मुंबई से पूना यात्रा करनी हो, तो लगभग ३-४ जन्म लेना पडेगा । लेकिन यही चींटी पूना जाने वाले व्यक्ति के कपड़े पर चढ़ जाये, तो सहज ही ३-४ घंटे में पूना पहुंच जाएगी कि नहीं  ! 
ठीक इसी प्रकार अपने प्रयास से भवसागर पार करना कितना कठिन ! पता नहीं कई जन्म लग सकते हैं । इसकी अपेक्षा यदि हम गुरू का हाथ पकड लें और उनके बताये सन्मार्ग पर  श्रद्धापूर्वक चलें, तो सोचिये कितनी सरलता से वे आपको  सुख, समाधान व अखंड आनंदपूर्वक भव सागर पार करा सकते हैं !! 
😇🙏😇🙏😇🙏😇🙏😇🙏
वे लोग कितने सौभाग्यशाली हैं, जिनके जीवन में गुरु है ।🙏🙏🙏




जिस का रहा करता था हमें कभी ,
हर पल हर घड़ी इंतजार बाबा जी।
कहां  खो गया वो  हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?

सोम मंगल बीत जाते थे यादों में तेरी ,
सत्संग वाला आ जाता था बुध वीरवार जी।
शुक्र भी रहते यादों में, शनि उत्साहित रहते,
आने वाला है कल,सत्संग वाला इतवार जी।
अब तो ना कोई उमंग , ना कोई उत्साह ,
जिंदगी लगती है बिल्कुल बेकार बाबा जी।
कहां  खो गया वो  हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?

कितने चाव से और कितने भाव से हम ,
तब  सत्संग  घर  आया  करते  थे ।
किया  करते थे  सेवा संगत की और ,
कृपा से झोली  भर लाया करते थे ।
खुद मे सिमटा है हर कोई अब तो ,
बन्द हुआ पड़ा हर द्धार बाबा जी ।
कहां  खो गया वो  हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?

बेशक संगत से हम कई सेवादारों का ,
बर्ताव हुआ करता था अहंकार भरा ।
फिर भी  मिल जाता था  संगत से ,
हम सब को,प्यार बड़ा, सत्कार बड़ा ।
बख्श दो अब तो हम गुनाहगारों को ,
दे दो, संगत का वोही प्यार बाबा जी ।
कहां  खो गया वो हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?

दया कर दो  हम पापी  जीवों पर ,
CORONA का कर दो संहार दाता ।
दे दो सेवा सत्संग फिर से सब को ,
 खोल दो सत्संग घरों के द्बार दाता ।
कर रहा हर कोई सेवादार विनती ,
कर रही सब संगत पुकार बाबा जी ।
कहां  खो गया वो  हमारा आज  ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ।

                   राधा स्वामी जी




कुछ बोलने और तोड़ने में            केवल एक पल लगता है           जबकि बनाने और मनाने में             पूरा जीवन लग जाता है।                       प्रेम सदा          माफ़ी माँगना पसंद करता है,                 और अहंकार सदा          माफ़ी सुनना पसंद करता है



Radha swami ji sache vachan

फकीर बुलेशाह से जब किसी ने पूछा, कि आप इतनी
गरीबी में भी भगवान का शुक्रिया कैसे करते हैं
तो बुलेशाह ने कहा.....
चढ़दे सूरज ढलदे देखे...
बुझदे दीवे बलदे देखे.,
हीरे दा कोइ मुल ना जाणे..
खोटे सिक्के चलदे देखे.
जिना दा न जग ते कोई, ओ वी पुत्तर पलदे देखे।
उसदी रहमत दे नाल बंदे पाणी उत्ते चलदे देखे।
लोकी कैंदे दाल नइ गलदी, मैं ते पत्थर गलदे देखे।
जिन्हा ने कदर ना कीती रब दी, हथ खाली ओ मलदे देखे ..
..कई पैरां तो नंगे फिरदे, सिर ते लभदे छावा,
मैनु दाता सब कुछ दित्ता, क्यों ना शुकर मनावा l



गुरु अमरदास जी सावधान करते हैं कि सतगुरु का मिल जाना और उनसे नाम का भेद प्राप्त कर लेना काफ़ी नहीं । सतगुरु से मिले शब्द की कमाई करना आवश्यक है । मन और आत्मा की अवस्था जब भी बदलेगी, शब्द की कमाई के द्वारा ही बदलेगी ।


भजन :-






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Guru pyari sadh sangat G  Radha Soami G🙏🏻🌿


Hum Sabhi ko roz Subhe uthh kr malik ka Sada Shukriya karna chahiye ek nai Subha k liye ye mat bhule ki hamara ek ek swans malik ki hi rehmat hai uski rehmat k aage hamari koi aukaat nahi hai iss liye Sada shukrana,,,,,swans swans shukrana mere malik ,,, uthte baithte  sote jagte sirf malik ko hameisha yaad rakhna hai,,jo hamei homework mila hua hai use jarur poora krna hai bhool kr na baithe bilkul🙏🏻☝🏻🌿


Sabkuchh praya hai ek vo Raam☝🏻hi apna hai याद रहे जी🙏🏻

  ➰ Radha Soami G ➰🙏🏻☝🏻😊


राज़ कराने वाला भी वो भीख मंगाने वाला भी वो कुल मालिकही है उसकी रजा मे रह कर ही
_हमे भजन-सिमरन करना है..
हमे फर्क नही पड़ना चाहिए कि
वो हम से चाहे  दर-दर की भीखमंगाए, चाहे राज कराएं, नंगा रखे
_चाहे भूखा रखे...
_जिस भी हाल मे रखे हमने रहना ही है।
_जब हममें  ऐसी सोच आ जायेगी,
 _तो ना कोई दुख रहेगा और
_ना ही कोई सवाल....!!!


🙏🏽☝🏽🙏🏽
_राधा स्वामी जी

Friday, May 15, 2020

Radha soami beas 2020 updates

                                बहुत ही प्यार भजन है :-




एक सच्ची साखी 

हजूर महाराज जी,एक बार श्रीलँका,सत्सँग हेतु गये।जहाँ हजूर का सत्सँग होना था,उस 

ऐरिये मे,अचानक करफ्यू लग
गया जी।
जिस मुख्य सेवादार ने
बाबा जी को साथ लेके जाना था
यानिकि recieve करना था वो भी,एक आर्मी का अफसर था।
वो दौङ कर अपने उच्च अधिकारी से मिला ओर विनती
की,मेरे सतगुर आ रहे है क्रिपा करके, उनकी तलाशी मत लेना जी,और क्रिपा करके,आप इस रास्ते का दरवाजा खुलवा दें।
उच्च अधिकारी ,एक क्रिशचन था।
उच्च अधिकारी ने कहा कि भाई तलाशी तो जरुर लेनी होगी ,कयोंकि सरकार का हुकम है,चलो
मै किसी को न भेजकर ,स्वयँ ही
चैक करुँगा जी।इतनी बातचीत हो
ही रही थी कि हजूर की गाड़ी आकर रुकी, और हजूर ने धीरे
धीरे कार का शीशा खोला,ओर जैसे ही उस क्रिशचन उच्च अधिकारी ने बाबा जी के दर्शन किए,वो अपनी सुध बुद्ब खो बैठा
उसने फोरन कान पर वायरलैस फोन को लगा कर,आदेश दिया,
It,seems,that,Jesus"has come,on the earth,open the every door.
ऐसा लगता है कि
मेरा जीसस भगवान जमी पर आ
गया है मेहरबानी करके सब दरवाजे खोल दिए जाँए ....

राधास्वामी जी




साई  बुल्लेशाह  जी  कहते  हैं  कि  ईश्वर  से  मिलने  की  इच्छा  रखने  वाले  व्यक्ति  को  यह  जानना  चाहिए  कि  प्रियतम   अपने  भीतर  बैठा  है  ,  लेकिन  इस  मोह माया  की  दुनियां  में  फंसा  प्राणी  उसे  नहीं  देख  सकता ।  जीव  को  अपने  नाम  का  अनुकरण  करना  चाहिए  और  रचना  के  प्रेम  के  बजाय  रचनाकार  से  प्यार  करना चाहिए ।   मनुष्य  के  संकट  का  सबसे  बड़ा  कारण  यह  है  कि  वह  भक्त  बनने  के  बजाय ,  एक  देवता  बन  गया  है :  " बुल्ला  रब  बन  अप्पन ,  तड़  दुनी  दे  पाय  सेपे " ।  अहंकार  का  त्याग  करके  ही  मनुष्य  इस  संकट  से  मुक्त  हो  सकता  है :


राधास्वामी जी





हो के शर्मिन्दा गुनाहों से,कभी सर को झुका तो सही..वो करेगा माफ़ तुझे,दो अश्क़ बहा तो सही..न रहेगा तू मोहताज कभी किसी का.अरे नादान अपने हाथ उठा के
दामन फैला तो सही.... 


।। राधास्वामी जी ।।






सिमरन दी पौड़ी चढ़के,

चलो सतगुरु नूं मिल आइये।
सिमरन दे विच ही अपना,
स्वाँस स्वाँस बिताइये।।
करके सिमरन सच्चे नाम दा,
सोहणे सतगुरु नूं रिझाइये।






सिमरन करो जी

राधा स्वामी जी


हम सभी मुक्ति के लिए संघर्ष कर रही आत्माएं हैं।हमें "नाम" दिया गया है तो इसका यह अर्थ है कि "परमात्मा" हमें अपने पास वापस बुलाना चाहता है जब यह उसकी इच्छा ह तब हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से कौन रोक सकता है?
भजन-सिमरन करना होगा जी





गुरु का ड़र रहेगा तो इंसान
गुनाहो से बचता रहेगा
गुरु
का दर रहेगा तो उसकी
रहमते बरसती रहेगी




ईश्वर दुनिया का
             सबसे बड़ा वैध है,
                      और ..
             प्रार्थना दुनिया की
           सबसे कारगर दवाई !!


                                               🙏☺️राधा स्वामी जी ☺️🙏

Wednesday, May 13, 2020

Radha soami sakhi byas dera






                                  राधा स्वामी जी 🙏🙏🙏🙏

                                                      

Beautiful Saakhi


एक सेवक सेवा करते करते बीमार हो गया, डॉक्टर ने उसे कहा कि तुम्हे सेवा में यात्रा करनी पड़ती है इसलिए यदि जीवित रहना चाहते हो तो एक स्थान पर बैठे रहो, यह सेवा छोड़ दो, नहीं तो तुम्हारा शरीर दो वर्ष से अधिक नहीं चलेगा। उसने उत्तर दिया कि सेवाहीन होकर दस वर्ष जीवित रहने से तो दो वर्ष सेवा करके मरना अच्छा है। जिसने बात सुनाई उसको दस वर्ष व्यतीत हो गए हैं और अभी भी उसी प्रकार सेवा कर रहा है, जिस प्रकार दस वर्ष पहले करता था।

🌹🙏🆚उसने कहा, मुझे विश्वास है कि औषधि की अपेक्षा, सेवा में स्वास्थ्य प्रदान करने की शक्ति अधिक है, जो डॉक्टर नहीं कर सकते वे सतगुरू कर सकते हैं🆚🙏🌹



राधा स्वामी जी 
आप सभी से एक बहुत ज्यादा जरूरी विनती करना चाहता हूं विनती यह है कि कुछ व्हाट्सएप ग्रुप्स में और फेसबुक पर एक मैसेज डाला जा रहा है कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास, डेरा बाबा जैमल सिंह के जो अकाउंट नंबर हैं वह दिए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि आप उसमें दान डालिए यानी सेवा डालिए जबकि ऐसा कोई भी मैसेज या कोई संदेश राधा स्वामी डेरे की तरफ से नहीं आया है अगर कुछ भी ऐसा डेरे की तरफ से होगा तो आपके आसपास के सेंटर/सब सेंटर/सत्संग पॉइंट से आपको इस चीज की जानकारी जरूर मिलेगी जी 

राधा स्वामी जी

बड़े महाराज जी ने कहा था कि  ना तो कभी सेवा रुकेगी,, और लंगर भी हमेशा चलता रहेगा.... आज इस lockdown में भी हम देख रहे है कि सेवा भी चल रही है और गुरु का लंगर भी.... सब कुछ बंद हो चुका है,, पर मालिक का दर खुला है और हमेशा खुला रहेगा....   

                                                              🙏राधा स्वामी जी🙏🥰🥰🤗

एक सच्ची साखी राधा स्वामी जी


डेरे का लंगर खाने वाली संगत बाबा जी की ये लीला


गुरु प्यारी साध संगत जी यह साखी हजूर महाराज जी के समय की है साध संगत जी जब भी हम गुरु घर जाते हैं वहां पर जाकर सेवा करते हैं सत्संग सुनते हैं उसके साथ ही हम गुरु घर का लंगर भी खाते हैं इस साखी में हमें गुरु घर के लंगर की अहमियत के बारे में पता चलेगा ।
ये साखी एक सत्संगी की सच्ची कहानी है ,साध संगत जी संगत को बार-बार कहा जाता है कि जितनी जरूरत है उतना ही लंगर लीजिए यह गुरु घर का लंगर है इसे व्यर्थ मत कीजिए यह बार-बार संगत को कहा जाता है क्योंकि गुरु घर का लंगर हर किसी के नसीब नहीं होता वह जीव बहुत ही भागों वाले होते हैं जो गुरु घर का लंगर खाते हैं गुरु घर की सेवा करते हैं क्योंकि यह सब मालिक के हुक्म से ही होता है मालिक ही उन्हें वहां भेजता है संगत की सेवा करने के लिए हमें प्रेरित करता है हम अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकते जो भी होता है उसके हुक्म से ही होता है
साध संगत जी यह बात उन दिनों की है जब स्टेशन पर कुछ सत्संगीयों की सेवा लगी हुई थी वहां पर कुछ काम चल रहा था जिसके कारण कुछ सत्संगी भाई वहां पर सेवा कर रहे थे तो उनका लंगर भी वहां पर ही आ जाता था क्योंकि स्टेशन से लंगर की ओर जाना मुश्किल होता था तो इसीलिए उनका लंगर स्टेशन पर ही पहुंचा दिया जाता था ताकि उन्हें कोई मुश्किल ना हो बाबा जी की संगत को कोई परेशानी ना हो तो साध संगत जी ऐसे ही उन सत्संगी भाइयों ने सेवा के दौरान स्टेशन के पास ही एक पेड़ के नीचे बैठकर गुरु घर का लंगर खाया ,लंगर खाने के बाद रोटी के कुछ टुकड़े वहां पर गिर गए और वह सेवादार लंगर खाकर वहां से चले गए वापस अपनी सेवा में लीन हो गए । साध संगत जी यह बात उस सत्संगी ने खुद संगत के बीच सतगुरु के सामने कही थी सतगुरु का सत्संग चल रहा था और वह सत्संग में खड़ा होकर कहने लगा कि हे सच्चे पातशाह ! मुझे आपसे एक अर्ज करनी है कृपया मुझे मेरी बात कहने दे सतगुरु ने कहा कि सत्संग के बाद कह देना फिर उसे बिठा दिया गया लेकिन कुछ देर बाद वह फिर खड़ा हो गया और कहने लगा सतगुरु मुझसे रहा नहीं जाता मुझे मेरी बात कहने दे ,तो सतगुरु ने कहा था कि चला ले जेडी तू बंदूक चलानी है तो उसने उस समय संगत को कहा था की ये जो आपके सामने बैठे हैं यह कोई इंसान नहीं है यह रब है यह मैंने खुद महसूस किया है मैं आपको अपनी बात बताता हूं पिछले जन्म में मैं एक चील था और डेरा ब्यास के पास मेरा ठिकाना था और वही रहता था एक दिन मैंने देखा कि जमीन पर कुछ रोटी के टुकड़े पड़े हुए हैं तो मैं वहां पर गया और मैंने वह रोटी के टुकड़े खाए जो कि डेरा ब्यास के लंगर के थे और उसके बाद ही मेरी मृत्यु हो गई और मुझे यह मनुष्य जन्म मिल गया यह बात मुझे अंतर्ध्यान होकर पता चली कि मैं पिछले जन्म में एक चील था, हे गुरु प्यारी संगते यह खुद रब है यह कहते नहीं है यह खुद ही रब है मेरी बात मानो ! जब मुझे मनुष्य जन्म मिला तो मुझे सतगुरु ने नामदान की बख्शीश भी कर दी उसके बाद मैं समझ गया था कि जो मैंने डेरे का लंगर खाया है यह सब उसी की वजह से है क्योंकि मुझ में ऐसी कोई भी ताकत नहीं है कि मैं गुरु तक पहुंच सकूं यह सब सतगुरु ने किया क्योंकि जो कोई भी गुरु घर का लंगर खा लेता है सद्गुरु उसका पार उतारा जरूर करते हैं इसलिए तो संगत को बार-बार कहा जाता है कि यह गुरु घर का लंगर है इसे व्यर्थ ना करें, इसे व्यर्थ ना करें,यह बात उन्होंने बहुत बार संगत के बीच कहीं उस समय बहुत सारी संगत के आंखों में आंसू भी आ गए थे । साध संगत जी इसीलिए तो फरमाया जाता है कि अब तो गुरु द्वारा नामदान की बक्शीश भी हो गई है सब कुछ हो गया है अब कमी हमारी तरफ से ही है जो हमें सतगुरु ने देना था हमें दे दिया है अब करनी करने की बारी हमारी है हम थोड़ी सी मेहनत करेंगे तो हमारा इस जन्म मरण के चक्कर से हमें छुटकारा मिल जाएगा सतगुरु हमें अपने साथ सचखंड ले जाएंगे हमें तो उस कुल मालिक का शुक्र करना चाहिए कि उसने हमें खुद अपने से मिला लिया खुद ही अपनी पहचान हमें करवा दी नहीं तो हमारी क्या औकात है कि हम गुरु की पहचान कर सकें सतगुरु हमारे कर्म नाम दान देते समय ही काट देते हैं जो भी बारी-बारी कर्म हमारे होते हैं वह तो गुरु घर का लंगर खाने से ही कट जाते हैं तो आप सोच सकते हैं कि जब सतगुरु नामदान की बख्शीश करते हैं तो हमारा पिछला जो भी हिसाब होता है उसे एकदम से साफ कर देते हैं और उस दिन से हमें एक और मौका उस कुल मालिक की भजन बंदगी करने का हमें देते हैं कि आज से दोबारा शुरू करो हमें पूरी तरह से निखार देते हैं अपना रंग हम पर छोड़ देते हैं और हमारी सारी मेल नामदान की बख्शीश के समय उतर जाती है हमारे सारे कर्म उस समय कट जाते हैं लेकिन यह बातें सतगुरु कहते नहीं हैं क्योंकि अगर वह यह सब बताने लग जाए तो हम में से कोई भी भजन सिमरन नहीं करेगा इसलिए सतगुरु कभी यह बातें कहते नहीं हैं और हमें केवल और केवल भजन बंदगी करने के लिए कहते हैं ताकि हम खुद पहचान कर सके खुद वहां तक पहुंच सके खुद जान सके उस मालिक से मिलाप कर सके, करने को सतगुरु बहुत कुछ कर सकते हैं अपनी एक दया मेहर की दृष्टि से ही हमारा पार उतारा कर सकते हैं लेकिन वह चाहते हैं कि उसके बच्चे खुद अपने पैरों पर खड़े हो खुद जाने खुद पहचान करें इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा भजन सिमरन करने के लिए कहते हैं हमें बार-बार समझाते हैं कि यह मनुष्य जन्म बहुत ही अनमोल है यह बार-बार नहीं मिलना अभी अगर थोड़ी सी मेहनत कर ली जाए तो हमारा पार उतारा हो सकता है हमारा उस कुल मालिक से मिलाप हो सकता है हम फिर से अपने असल धाम सचखंड जा सकते हैं सतगुरु ने नामदान की बख्शीश कर हमारी जिम्मेवारी ली है इसीलिए हमें जोर देकर समझाते हैं कभी हमें प्यार से समझाते हैं और कभी-कभी हमें डांट कर समझाते हैं डांटने की आवश्यकता तब पड़ती है जब उनके बच्चे समझते नहीं उनका कहना नहीं मानते लेकिन जो उनके हुक्म की पालना करते हैं सतगुरु उनको किसी चीज की कमी नहीं रहने देते जैसे कि वह फरमाते हैं कि अगर नाम की कमाई की शब्द की कमाई की भजन सिमरन को पूरा समय दिया तो मालिक आपका परमार्थ भी सवार देगा और स्वार्थ भी बना देगा तो साध संगत जी हमें और क्या चाहिए सतगुरु ने खुद हमें चुना है खुद हमें नामदान की बक्शीश की है हमारी जिम्मेदारी ली है तो हमारा भी फर्ज बनता है कि सतगुरु की याद में भजन सिमरन को पूरा समय दे ,उसके अच्छे बच्चे बनने की कोशिश करें ।

SATSANG -13 MAY 2020




जिस का रहा करता था हमें कभी ,
हर पल हर घड़ी इंतजार बाबा जी।
कहां  खो गया वो  हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?
सोम मंगल बीत जाते थे यादों में तेरी ,
सत्संग वाला आ जाता था बुध वीरवार जी।
शुक्र भी रहते यादों में, शनि उत्साहित रहते,
आने वाला है कल,सत्संग वाला इतवार जी।
अब तो ना कोई उमंग , ना कोई उत्साह ,
जिंदगी लगती है बिल्कुल बेकार बाबा जी।
कहां  खो गया वो  हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?
कितने चाव से और कितने भाव से हम ,
तब  सत्संग  घर  आया  करते  थे ।
किया  करते थे  सेवा संगत की और ,
कृपा से झोली  भर लाया करते थे ।
खुद मे सिमटा है हर कोई अब तो ,
बन्द हुआ पड़ा हर द्धार बाबा जी ।
कहां  खो गया वो  हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?
बेशक संगत से हम कई सेवादारों का ,
बर्ताव हुआ करता था अहंकार भरा ।
फिर भी  मिल जाता था  संगत से ,
हम सब को,प्यार बड़ा, सत्कार बड़ा ।
बख्श दो अब तो हम गुनाहगारों को ,
दे दो, संगत का वोही प्यार बाबा जी ।
कहां  खो गया वो हमारा आज ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?
दया कर दो  हम पापी  जीवों पर ,
CORONA का कर दो संहार दाता ।
दे दो सेवा सत्संग फिर से सब को ,
 खोल दो सत्संग घरों के द्बार दाता ।
कर रहा हर कोई सेवादार विनती ,
कर रही सब संगत पुकार बाबा जी ।
कहां  खो गया वो  हमारा आज  ,
सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ।
 जिस का रहा करता था हमें कभी ,

हर पल हर घड़ी इंतजार बाबा जी।

कहां  खो गया वो  हमारा आज ,

सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?

सोम मंगल बीत जाते थे यादों में तेरी ,

सत्संग वाला आ जाता था बुध वीरवार जी।

शुक्र भी रहते यादों में, शनि उत्साहित रहते,

आने वाला है कल,सत्संग वाला इतवार जी।

अब तो ना कोई उमंग , ना कोई उत्साह ,

जिंदगी लगती है बिल्कुल बेकार बाबा जी।

कहां  खो गया वो  हमारा आज ,

सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?

कितने चाव से और कितने भाव से हम ,

तब  सत्संग  घर  आया  करते  थे ।

किया  करते थे  सेवा संगत की और ,

कृपा से झोली  भर लाया करते थे ।

खुद मे सिमटा है हर कोई अब तो ,

बन्द हुआ पड़ा हर द्धार बाबा जी ।

कहां  खो गया वो  हमारा आज ,

सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?

बेशक संगत से हम कई सेवादारों का ,

बर्ताव हुआ करता था अहंकार भरा ।

फिर भी  मिल जाता था  संगत से ,

हम सब को,प्यार बड़ा, सत्कार बड़ा ।

बख्श दो अब तो हम गुनाहगारों को ,

दे दो, संगत का वोही प्यार बाबा जी ।

कहां  खो गया वो हमारा आज ,

सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ?

दया कर दो  हम पापी  जीवों पर ,

CORONA का कर दो संहार दाता ।

दे दो सेवा सत्संग फिर से सब को ,

 खोल दो सत्संग घरों के द्बार दाता ।

कर रहा हर कोई सेवादार विनती ,

कर रही सब संगत पुकार बाबा जी ।

कहां  खो गया वो  हमारा आज  ,

सेवा सत्संग वाला इतवार बाबा जी ।

  राधा स्वामी जी

बहुत ही सुन्दर दृष्टांत 

🔸🔸🔹🔹🔸🔸
 एक माता आटा गूंध रही थीं, इतने में उसका चार साल का बच्चा जाग जाता है, और रोना शुरु कर देता है । मां दौड़कर उसके पास आती है और ढेर सारे खिलौने उसके पास डाल देती है । और एक-दो खिलौने उसके सामने बजा कर उसके हाथ में देना चाहती है ।
किन्तु बच्चा खिलौने हाथ में लेने के बजाए उन्हें पैरों की ठोकर से दूर फेंक देता है और जमीन मैं पसर जाता है और हाथ-पैर मारकर जोर जोर से रोने लगता है।
 यह सब देख कर मां प्यार के जोश में आकर बच्चे को अपनी गोदी में उठा लेती है, और उसे खूब चूमती-चाटती है, उसे सहलाती है ।
बच्चा अपनी मां का प्यार पाकर परम शांति का आनन्द लेता हुआ फिर सो जाता है या शांत बैठ जाता है । मां भी अपने काम में लग जाती है ।
बस यही कुछ हाल यहां भी होता है जब साधक भजन भक्ति में लगकर रोता गिड़गिगिड़ाता है,  फरियाद करता है , तो उसके आगे पीछे भी मोटर , बिल्डिंग गुड़िया, गुड्डे आदि खिलौने डाल दिये जाते हैं ,और वह उन्हीं में उलझ कर रह जाता है ।
और अपने असली लक्ष्य से भटक कर सत्य मार्ग को खो बैठता है । और जिंदगी भर रोता और  दुख उठाता है ।
अगर वह भी उस बच्चे  की तरह उसको लात मार देता तो आज वह भी अपने प्रभु की गोद में बैठा होता ।
दो नावों में एक साथ बैठना संभव नहीं । या तो दुनिया का मजा लूट लो या आत्मा के आनंद का ।।
🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸


RADHA SOAMI JI

एक सच्ची साखी राधा स्वामी जी


एक पुरानी कथा इस समय के लिए आज भी बिल्कुल प्रासंगिक है 

एक राजा को राज भोगते काफी समय हो गया था। बाल भी सफ़ेद होने लगे थे। एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने गुरुदेव एवं मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया । उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया।
 ...✍
राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दीं, ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे उसे पुरस्कृत कर सकें। सारी रात नृत्य चलता रहा। ब्रह्म मुहूर्त की बेला आयी। नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है और तबले वाले को सावधान करना ज़रूरी है, वरना राजा का क्या भरोसा दंड दे दे। तो उसको जगाने के लिए नर्तकी ने एक दोहा पढ़ा :-
...✍
"बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिताई। 
एक पल के कारने, ना कलंक लग जाए।"
...✍
अब इस दोहे का दरबार में उपस्थित सभी व्यक्तियों ने अपनी-अपनी सोच के अनुरुप अलग-अलग अर्थ निकाला। तबले वाला सतर्क होकर तबला  बजाने लगा।
...✍
जब यह दोहा  गुरु जी ने सुना तो गुरु जी ने सारी मोहरें उस नर्तकी को अर्पण कर दी।
...✍
दोहा सुनते ही राजा की लड़की ने भी अपना नौलखा हार नर्तकी को भेंट कर दिया।
...✍
दोहा सुनते ही राजा के पुत्र युवराज ने भी अपना मुकट उतारकर नर्तकी को समर्पित कर दिया।
...
राजा बहुत ही अचम्भित हो गया।
सोचने लगा रात भर से नृत्य चल रहा है पर यह क्या! अचानक एक दोहे से सब अपनी मूल्यवान वस्तु बहुत ही ख़ुश हो कर नर्तकी को समर्पित कर रहें हैं , 
 राजा सिंहासन से उठा और नर्तकी को बोला एक दोहे द्वारा एक सामान्य नर्तिका  होकर तुमने सबको लूट लिया ।"*
...✍
जब यह बात राजा के गुरु ने सुनी तो गुरु के नेत्रों में आँसू आ गए और गुरु जी कहने लगे - "राजा ! इसको नीच नर्तकी मत कह, ये अब मेरी गुरु बन गयी है क्योंकि इसने दोहे से मेरी आँखें खोल दी हैं।दोहे से यह कह रही है कि मैं सारी उम्र जंगलों में भक्ति करता रहा और आखिरी समय में नर्तकी का मुज़रा देखकर अपनी साधना नष्ट करने यहाँ चला आया हूँ, भाई ! मैं तो चला।" यह कहकर गुरु जी तो अपना कमण्डल उठाकर जंगल की ओर चल पड़े।
...✍
राजा की लड़की ने कहा - "पिता जी ! मैं जवान हो गयी हूँ । आप आँखें बन्द किए बैठे हैं, मेरी शादी नहीं कर रहे थे तो आज रात मैंने आपके महावत के साथ भागकर अपना जीवन बर्बाद कर लेना था। लेकिन इस नर्तकी के दोहे ने मुझे सुमति दे दी है कि जल्दबाजी मत कर कभी तो तेरी शादी होगी ही । क्यों अपने पिता को कलंकित करने पर तुली है ?" 
...✍
युवराज ने कहा - "पिता जी ! आप वृद्ध हो चले हैं, फिर भी मुझे राज सिंहासन नहीं दे रहे थे। मैंने आज रात ही आपके सिपाहियों से मिलकर आपका कत्ल करवा देना था । लेकिन इस नर्तकी के दोहे ने समझाया कि पगले ! आज नहीं तो कल आखिर राज तो तुम्हें ही मिलना है, क्यों अपने पिता के खून का कलंक अपने सिर पर लेता है। धैर्य रख ।"
...✍
जब ये सब बातें राजा ने सुनी तो राजा को भी आत्म ज्ञान हो गया। राजा के मन में वैराग्य आ गया। राजा ने तुरन्त फैसला लिया - "क्यों न मैं अभी युवराज का राजतिलक कर दूँ ।" फिर क्या था, उसी समय राजा ने युवराज का राजतिलक किया और अपनी पुत्री को कहा - "पुत्री ! दरबार में एक से एक सुन्दर, सुशील राजकुमार आये हुए हैं।तुम अपनी इच्छा से किसी भी राजकुमार के गले में वरमाला डालकर पति रुप में चुन सकती हो ।" राजकुमारी ने ऐसा ही किया और राजा सब कुछ त्याग कर जंगल में गुरु की शरण में चला गया ।
...✍
यह सब देखकर नर्तकी ने सोचा - "मेरे एक दोहे से इतने लोग सुधर गए, लेकिन मैं क्यूँ नहीं सुधर पायी ?" उसी समय नर्तकी में भी वैराग्य आ गया। उसने उसी समय निर्णय लिया कि आज से मैं अपना बुरा नृत्य  बन्द करती हूँ और कहा कि "हे प्रभु ! मेरे पापों से मुझे क्षमा करना । बस, आज से मैं सिर्फ तेरा ही  सुमिरन करुँगी ।"

Same Implements  on us at this Lockdown/Curfew
"बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिताई । 
एक पल के कारने, ना कलंक लग जाए।"
 आज हम इस दोहे को यदि हम  कोरोना को लेकर अपनी समीक्षा करके देखे तो हमने पिछले 22 तारीख से जो संयम बरता, परेशानियां झेली ऐसा न हो कि हमारी अंतिम क्षण में एक छोटी सी भूल, हमारी लापरवाही, हमारे साथ पूरे समाज को न ले बैठे।
आओ हम सब मिलकर कोरोना से संघर्ष करे , घर पर रहे, सुरक्षित रहे व सावधानियों का विशेष ध्यान रखें।
Vr


   🙏🙏Radha swami ji🙏🙏




RADHA SOAMI JI

एक सच्ची साखी राधा स्वामी जी

8 साल का एक बच्चा 1 रूपये का सिक्का मुट्ठी में लेकर एक दुकान पर जाकर पूछने लगा,
--क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?

दुकानदार ने यह बात सुनकर सिक्का नीचे फेंक दिया और बच्चे को निकाल दिया।

बच्चा पास की दुकान में जाकर 1 रूपये का सिक्का लेकर चुपचाप खड़ा रहा!

-- ए लड़के.. 1 रूपये में तुम क्या चाहते हो?
-- मुझे ईश्वर चाहिए। आपकी दुकान में है?

दूसरे दुकानदार ने भी भगा दिया।

लेकिन, उस अबोध बालक ने हार नहीं मानी। एक दुकान से दूसरी दुकान, दूसरी से तीसरी, ऐसा करते करते कुल चालीस दुकानों के चक्कर काटने के बाद एक बूढ़े दुकानदार के पास पहुंचा। उस बूढ़े दुकानदार ने पूछा,

-- तुम ईश्वर को क्यों खरीदना चाहते हो? क्या करोगे ईश्वर लेकर?

पहली बार एक दुकानदार के मुंह से यह प्रश्न सुनकर बच्चे के चेहरे पर आशा की किरणें लहराईं ৷ लगता है इसी दुकान पर ही ईश्वर मिलेंगे !
 बच्चे ने बड़े उत्साह से उत्तर दिया,

----इस दुनिया में मां के अलावा मेरा और कोई नहीं है। मेरी मां दिनभर काम करके मेरे लिए खाना लाती है। मेरी मां अब अस्पताल में हैं। अगर मेरी मां मर गई तो मुझे कौन खिलाएगा ? डाक्टर ने कहा है कि अब सिर्फ ईश्वर ही तुम्हारी मां को बचा सकते हैं। क्या आपकी दुकान में ईश्वर मिलेंगे?

-- हां, मिलेंगे...! कितने पैसे हैं तुम्हारे पास?

-- सिर्फ एक रूपए।

-- कोई दिक्कत नहीं है। एक रूपए में ही ईश्वर मिल सकते हैं।

दुकानदार बच्चे के हाथ से एक रूपए लेकर उसने पाया कि एक रूपए में एक गिलास पानी के अलावा बेचने के लिए और कुछ भी नहीं है। इसलिए उस बच्चे को फिल्टर से एक गिलास पानी भरकर दिया और कहा, यह पानी पिलाने से ही तुम्हारी मां ठीक हो जाएगी।

अगले दिन कुछ मेडिकल स्पेशलिस्ट उस अस्पताल में गए। बच्चे की मां का आप्रेशन हुआ और बहुत जल्दी ही वह स्वस्थ हो उठीं।

डिस्चार्ज के कागज़ पर अस्पताल का बिल देखकर उस महिला के होश उड़ गए। डॉक्टर ने उन्हें आश्वासन देकर कहा, "टेंशन की कोई बात नहीं है। एक वृद्ध सज्जन ने आपके सारे बिल चुका दिए हैं। साथ में एक चिट्ठी भी दी है"।

महिला चिट्ठी खोलकर पढ़ने लगी, उसमें लिखा था-
"मुझे धन्यवाद देने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपको तो स्वयं ईश्वर ने ही बचाया है ...  मैं तो सिर्फ एक ज़रिया हूं। यदि आप धन्यवाद देना ही चाहती हैं तो अपने अबोध बच्चे को दीजिए जो सिर्फ एक रूपए लेकर नासमझों की तरह ईश्वर को ढूंढने निकल पड़ा। उसके मन में यह दृढ़ विश्वास था कि एकमात्र ईश्वर ही आपको बचा सकते है। विश्वास इसी को ही कहते हैं। ईश्वर को ढूंढने के लिए करोड़ों रुपए दान करने की ज़रूरत नहीं होती, यदि मन में अटूट विश्वास हो तो वे एक रूपए में भी मिल सकते हैं।"

आइए, इस महामारी से बचने के लिए हम सभी मन से ईश्वर को ढूंढे ... उनसे प्रार्थना करें... उनसे माफ़ी मांगे..!!!
Collection, it's not Sakhi but lesson of faith, forwarding for building faith ! 🙏



राधा स्वामी जी

मौत  अटल  है ,
मौत  सबको  ही  आनी  है ,
मौत  से  आज  तक  कोई  नहीं  बच  सका ,
मौत  चाहे  कोरोना  से  आये , या  फिर  किसी  अन्य  बीमारी  से , एक्सीडेंट  से  या  किसी  और  वजह से  ,

मौत  से  यूँ  मत  डरो  ना ,
जरा  सा  84  से  भी  तो  डरो  ना ,
भजन-सिमरन  भी  तो  करो  ना ,
और  जीते-जी  ही  मरो ना ,
और  मुक्ति  हासिल  करो ना ,
सतगुरुजी  की  राह  हासिल  करो ना ,
भाणा  भी  माना  करो ना ,
हर  प्राणी  में  प्रभु  को  देखा  करो ना ,
सब  से  प्रेम  करो ना , सबकी  सेवा करो ना
उस  एक  ही  ☝🏻 प्रभु  का  ध्यान  करो  ना ,  उसके  नाम  का  सदा  सिमरन  करो ना ,
नाम  की  कमाई  , शब्द  की  कमाई  भी  तो  करो ना ,
अपना  जीवन  पूरी  तरह  प्रभु  परमात्मा  को  समर्पित  कर  ,  अमर  जीवन  और  परम  आनंद  की  प्राप्ति  करो  ना ,

अब  भी  वक़्त  है  , , ,
भजन-सिमरन  करो ना ,
भजन-सिमरन  करो ना ।।

गुरू प्यारी साध संगत जी सभी सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी...🙏☺️


1. दिल ही दिल में "नाम" की

बरसात हो जायगी।

अन्तर में देखो "सतगुरु" से

बात हो जायगी।

शिकवा ना करना "सतगुरु"से

मिलने की।

आंखे बंद करना "सतगुरु" से

मुलाकात हो जायगी।

2. निकलते आँसुओं को
         देख कर,
        आँखें भी शायद सोचती
         हैं अब...
         कि पता नहीं कितना
         वक्त लगेगा,
          इसको सतगुरू का दीदार
           पाने  में॥
3. हे परमात्मा..

✨सुकून उतना ही देना प्रभु जितने से जिंदगी चल जाए,
औकात बस इतनी देना कि औरों  का भला हो जाए,
रिश्तो में गहराई इतनी हो कि प्यार से निभ जाए,
आँखों में शर्म इतनी देना कि बुजुर्गों का मान रख पायें,
साँसे पिंजर में इतनी हों कि बस नेक काम कर जाएँ,
बाकी उम्र ले लेना कि औरों पर बोझ न बन जाएँ

4. सत्संग
   जैसे पके हुए फल की तीन पहचान होती हैं। एक तो वह नर्म हो जाता हैं, दूसरी वह मीठा हो जाता हैं और तीसरी उसका रंग बदल जाता हैं।।
   जिसमें ये लक्षण ना हों वह कभी पका हुआ नहीं हो सकता हैं।।
   इसी तरह से परिपक्व व्यक्ति की भी तीन पहचान होती हैं। पहली उसमें विनम्रता होती हैं, दूसरी उसकी वाणी में मिठास होती हैं और तीसरी उसके चेहरे पर आत्मविश्वास का रंग होता हैं।।

5. तमन्ना कुछ भी नही,
एक तेरे दिदार के बिना,
जिंदगी अधूरी हैं मेरे सतगुरु,
तेरे प्यार और आशिर्वाद के बिना।
"सतगुरु" तुम्हारी रहमत ने दी
जो मोहब्बत मुझे,
अब किसी महोब्बत की परवाह नहीं।
तुम मिले तो मिली ऐसी जन्नत मुझे,
अब किसी और जन्नत की परवाह नही

6. सच्ची बात 🙏☺️
.
एक बुजुर्ग से किसी ने पूछा"जब भगवान के भजन सुनने में बैठते है तो जल्दी नींद आ जाती है और जब कोई महफिल की दुनिया या कोई सगींत (D J) का कार्यक्रम हो तो सारी रात नींद नहीं आती"
.
ऐसा क्यूँ?
.
बुजुर्ग ने बड़ा ही खूबसूरत जवाब दिया:
.
"नींद हमेशा फूलों की सेज पर आती है
काँटो के बिस्तर पर नहीं"
.
🙏☺️राधा स्वामी जी ☺️🙏

7. काश.. किसी खूबसूरत मौसम में...
सतगुरू मेरी आँखों पे अपना हाथ रख दे..

और हँसते हुए कह दे...
पहचान लो तो हम तुम्हारे...
ना पहचानो तो तुम हमारे......

🙏☺️

8. परेशानिया" चाहे जितनी हो
   "चिंता" करने से और ज्यादा
 "खामोश" होने से बिलकुल "कम"
"सब्र" करने से "खत्म" हो जाती है।
  और मालिक का "शुक्र" करने से
     खुशियो" मे बदल जाती है।

🙏☺️

9. एक फूल भी अक्सर बाग सजा देता हैँ
एक सितारा संसार चमका देता हैँ
जहाँ दुनिया भर के रिश्ते काम नही आते
वहाँ मेरा सदगुरु जिन्दगी बना देता हैँ...

10.  मानव मन की अवस्था : 

रात के अँधेरे से डरते हें
निरंकार से क्यू नही..?
सपनो से डरते हें
सतगुरु से क्यू नही..?
बिच्छु से डरते हें
गुनाहों से क्यू नही..?
स्वर्ग में जाना चाहते हें
सत्संग में क्यू नही..?
रिश्वत देते हें
सेवा क्यू नही..?
मनमत पर चलते हें
गुरुमत पर क्यू नही..?
गाने गाते हें
शब्द क्यू नही..?
सत्संग सुनते हें
अमल करते क्यू नही..?

11. मेरा हर त्यौहार बाबा जी से है..
"रक्षा बंधन"....डोर नाम की बाँधी है।
"होली"...नाम रंग में रंग दिया।
"जन्म अष्टमी"..बाबा जी ने
नाम देकर नया जन्म दिया।
"दिवाली"..रौशनी की नई राह दिखाई
"ईद"...खुद चाँद है बाबा जी।
"फ्रेंडशिप डे"..दोस्त से बड़कर
है बाबा जी...
"फादर्स डे"..पिता की तरह
गलत काम से रोकते है
"मदर्स डे"..माँ की तरह
ख्याल रखते है
"वेलेंटाइन डे"..इस दुनियाँ में
सबसे सच्चा प्यार करते है..
फिर क्यों न शुक्र करूं में उसका।

🙏☺️
12.  भरोसा जितना कीमती होता है...!
  धोखा उतना ही महंगा हो जाता है
           फूल कितना भी सुन्दर हो🌷
         🌸 तारीफ खुशबू से होती है
            इंसान कितना भी बड़ा हो
        कद्र उसके गुणों से होता है"

13. एक अरदास
             जिन्दगी बख्शी है,
    तो जीने का सलीका भी बख्श। 
      ज़ुबान बख्शी है मेरे मालिक, 
      तो सच्चे अल्फ़ाज़ भी बख्श।
      सभी के अन्दर तेरी ज्योत दिखे,  
      ऐसी तू मुझे नज़र भी बख्श।
     किसी का दिल न दुखे मेरी वजह से,
     ऐसा अहसास भी तू मुझे बख्श।
    आपके चरणकमल में मैं लगा रहूँ,  
      हे दाता ऐसा ध्यान भी बख्श।
     रिश्ते जो बनाये मेरे मालिक,   
         उनमें अटूट प्यार तू भर। 
    ज़िम्मेदारियाँ बख्शी हैं मेरे पालनहार,  
  तो उनको निभाने की समझ भी बख्श।
       बुद्धि बख्शी है मेरे मालिक,
               तो विवेक बख्श।
           एक और अहसान कर दे, 
         जो कुछ है, वो सब तेरा है,
     तो फिर इस मेरी  "मैं"  को भी बख्श।
                        

14. अमृत नाम महा रस मीठा

     जिसने पिया उसने सचखण्ड पाया

"हर रात के पिछले पहर मेँ एक गजब की (अनमोल) दौलत लुटती है।

जो जागते हैं वह पाते हैं जो सोते हैं वह खोते हैं।"

एक यही वह समय है जिसमेँ
जागने वाला कमाता है 
और
सोने वाला गवाता है ।
🙏🙏सिमरन करो जी🙏🙏
सतगुरु ने याद किया है जो वादा किया है उसको निभाना है सतगुरु से आज प्रोमिस की उसको पूरा करना है
🙏🙏राधा स्वामी जी🙏🙏 

15. सेवा का जुनून जिनके
पास होता है,
सच मे वो बन्दा तो
बादशाह होता है.
सतगुरू के दिल मे 
वो राज करता है.
और सतगुरू हर पल
उसपे नाज करते है.

16. नाम तेरे दी महक दाता 
मैं सासां विच बसावां 👏
तुहाडे चरणां 👣 दी मिट्टी नू
मैं पलका 👀 नाल छुअॉवां 
तेरे किते एहसाना दा मैं 
लख लख शुक्र मनावा.....😌🌷🙏

17. 
भजन :-

तू मेरा जीवन आसरा मेरे शहनशाह मेरे सतगुरु प्यारे
मैं ता बस हुन जी रही आ इक तेरे सहारे

🌻🌹जरूर सुने🌹🌻

18.
• •गुरु•••‼️  एक दिन संध्या के समय श्री गुरु नानक देव के दर्शन करने के लिए हिमाचल के साकेत शहर का राजा आया।

           गुरुदरबार में कीर्तन चल रहा था रागी शबद गा रहे थे-

 राजा ने प्रश्न किया- महाराज! अगर किस्मत के लेख मिटते नहीं हैं,तो संगत करने का क्या लाभ  है?




राजा ने प्रश्न किया- महाराज! अगर किस्मत के लेख मिटते नहीं हैं,तो संगत करने का क्या लाभ  है?

श्री गुरु नानक देव जी ने कहा- इसका उत्तर आपको समय आने पर देंगें।अभी आप कुछ आराम कर लीजिये।

राजा रात को सोया तो उसे स्वप्न आया,कि उसका एक अति दरिद्र परिवार में जन्म हुआ है और उसका जीवन अत्यंत दरिद्रता में बीत रहा है।वो युवा हुआ, उसका विवाह हुआ और उसे चार संतानें हुईं।उसके जीवन के चालिस वर्ष बीत चुके हैं।
एक दिन बच्चों की जिद पर वो एक पीलू के वृक्ष पर चढ़कर उनके लिए पीलू तोड़कर नीचे फेंक रहा है और कुछ खुद भी खा रहा है।एक पके गुच्छे को तोड़ने के लिए वो जैसे ही थोड़ा ऊपर उठा तो उसका पैर फिसल गया,और वो धड़ाम से नीचे गिर गया।
राजा यकदम उठ बैठा।भोर हो रही थी और वो दातुन करने लगा,तो मुंह से एक पीलू का बीज निकला।राजा आश्चर्यचकित हो गया।

सुबह जब वो गुरु दरबार में आया,
तो श्री गुरू नानक देव जी ने उसे वन विहार करने के लिए चलने को कहा।और श्री गुरु नानक देव जी और राजा वन के लिए चल पड़े।

राजा  वन में श्री गुरु नानक देव जी से बिछड़ गया,और प्यास से व्याकुल होकर जल की तलाश में एक नगर में जा पहुँचा।

कुएं पर पानी भरती औरतों से जब उसने पानी माँगा तो वो भय से चीखने लगीं।राजा अभी हैरान खड़ा ही था कि कुछ बच्चे उससे आकर लिपट गए।कुछ बड़े बजुर्ग और एक औरत उसे हैरानी से देख रहे थे।

राजा ने उन्हें थोड़ा गौर से देखा- अरे! ये क्या,
ये तो वही लोग हैं जिन्हें मैंने सपने में अपने कुटुंब के रूप में देखा था।अरे! ये बच्चे भी वही हैं जो सपने में मेरी संतानें थीं।
पर इनका अस्तित्व कैसे हो सकता है?राजा अभी ये सोच ही रहा था,कि सब लोग उसे खींचकर बेटा, बापू और स्वामी कहते हुए लिपट गए।

तभी श्री गुरु नानक देव जी वहां आ गए।
राजा ने श्री गुरु नानक देव जी से खुद को बचाने की गुहार लगाई।

श्री गुरु नानक देव जी ने उन लोगों से पूछा- आप इन्हें अपने साथ क्यों ले जा रहे हो?

उन्होंने कहा- ये हमारा परिजन है।
इसे ईश्वर ने हमारे लिए वापिस भेजा है।
अभी कल ही ये बच्चों के लिए पीलू तोड़ने के लिए वृक्ष पर चढ़ा था,और वृक्ष से गिरने से इसकी मौत हो गई थी।
कुछ और परिजनों के इंतजार में इसका शरीर वैधराज के पास रखा था।हम उसे ही लेने आज जा रहे थे,कि ये जीवित होकर हमारे सामने आ गया।

श्री गुरु नानक देव जी ने कहा- भले लोगों! ये आपका परिजन नहीं है।आपके परिजन का शरीर वैध के घर में सुरक्षित पड़ा है

लोग राजा और श्री गुरु नानक देव जी के साथ वैध के घर गए,और हूबहू राजा से मिलती देह देखकर हैरान रह गए
उन्होंने राजा से माफी मांगी और उन्हें विदा किया

श्री गुरु नानक देव जी ने राजा से कहा - राजन! तुमने कहा था ना कि अगर लिखा मिट नहीं सकता है,
तो  सत्संग का क्या लाभ?
आप जो अभी देख के आ रहे हो,
वो आपका आने वाला जन्म था।
जो आपको इस जन्म के कुछ गलत कार्यों के कारण भोगना था, लेकिन साधू जनों की संगत करने के कारण श्री गुरु नानक देव जी ने आपकी दरिद्रता के चालिस साल,
एक सपने में ही व्यतीत कर दिए
 जिस तरह राजमुद्रा पर अंकित अक्षर उल्टे होते हैं,
लेकिन स्याही का संग मिलते ही वो राजपत्र पर सीधे छपते हैं,
उसी तरह सत्संग का साथ हमारी मलिन बुद्धि को सीधे राह पर डाल देता है 

राजा ये वचन सुनकर,
धन्य "श्री गुरु नानक देव जी" कहते हुए उनके चरणों में नतमस्तक हो गया।

------ तात्पर्य ------
सतगुरु अपने शिष्य की हर तरह संभाल करते हैं कोई आंच नहीं आने देते। सुई की शूल बनाकर कर्म कटवाते हैं और भवसागर से पार उतार देते हैंl

19. 
मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईश्वर ! यहाँ तो बिना मतलब के तो लोग तुझे भी याद नहीं करते…!🙏🏻राधा स्वामी जी🙏🏻🌹🙏🏼🌹🙏🏼🌹🙏🏼🌹🙏🏼🌹🙏🏼🌹🙏🏼🌹

20. राधा स्वामी जी ☺️🙏

बाबा जी कहते हैँ।
सिमरण आप करो रास्ता हम बनायेगेँ।
खुश आप रहो खुशियाँ हम दिलायेगेँ।
आप गुरु की सँगत से जुड़े रहे।
साथ हम निभायेगे

🙏☺️ राधा स्वामी जी ☺️🙏

21. अनमोल वचन ●
☆ चिंता न करो ☆ 

¤ एक सत्संगी के लिए चिंता करना अपने सतगुरू और उसकी तरफ से हमारी देख भाल करने की योग्यता के विश्वास को तोडना है ।

¤ अगर फर्ज को पूरी ईमानदारी और पूरी योग्यता से निभा रहे हैं, तो अपने बच्चों , अपने कारोबार , अपने कामकाज , अपने सम्बन्ध , संसार , शांति , आतंकवाद , अपनी सेहत , अपनी हैसियत , रहन-सहन आदि की चिंता नहीं करनी चाहिए ।

¤ अगर हम चिंता करते हैं तो हम बेईमान हैं । वो कहता है चिंता ना करो अगर हमें चिंता करनी है तो "भजन और सिमरन" की चिंता करनी है ।

¤ जो कुछ भी हमने करना है वो एक झटके में कर देना है । जो किस्मत में लिखा है वो जरूर होगा ।

¤ अपनी जिन्दगी में ओर घटना नहीं होगी जो कुछ भी घटा है या घट रहा है या घटेगा वह उसकी इच्छा अनुसार ही है।

हजुर महाराज श्री चरन सिंह जी..
👏👏👏👏👏👏👏👏

22.  राधा स्वामी जी ☺️🙏

बुल्ले शाह कहते हैं...

उस दे नाल यारी कदी ना रखियो,
जिस नू अपने ते गुरूर होवे...

माँ बाप नू बुरा ना अखियो,
चाहे लाख उन्हां दा क़ुसूर होवे...

राह चलदे नू दिल न दैयो,
चाहे लख चेहरे ते नूर होवे

ओ बुल्लेया दोस्ती सिर्फ उथे करियो,
जिथे दोस्ती निभावन दा दस्तूर होवे..!!

🙏☺️ राधा स्वामी जी ☺️🙏

23.   राधा स्वामी जी ☺️🙏

पढ़ पढ़ किताबां इल्म दियां तूँ नाम रख लिया काज़ी,
हथ विच फड़ के तलवार तूँ नाम रख लिया गाजी,
मक्के मदीने घूंम आया ते नाम रख लिया हाजी,
बुल्लेशाह हासिल की किता, जे तूँ यार न रखिआ राज़ी.

🙏☺️

24. राधा स्वामी जी ☺️🙏

बहन कहती है ये मेरीे  whatsapp की पकी सहेली है 
भाई  कहता है ये मेरा पक fb का दोस्त है ।
पर स्वामीजी महाराज तो कुछ और बात कर रहे है
कहते है  सुन मेरी प्यारी आत्मा
शब्द और गुरु के सिवा तेरा कोई मित्र नहीं।
आइए बानी को श्र्वन करे।
.
"मित्र तेरा कोई नही संगीयन् में
पड़ा क्यों सोवे इन ठगीयन में
चेत कर प्रीत करो सत्संग में
गुरु फिर रंग दे नाम अरंग में"

25. राधा स्वामी जी ☺️🙏

एक शख्स ने बाबाजी से सवाल किया जब जाना ही आत्मा को है। भजन सिमरन करके शरीर को पीड़ा क्यों दे शरीर तो यही जल जाएगा ।

बाबा जी बेटे दूध पीते हो तो बर्तन में
डाल कर गर्म क्यों करते हो वो इसलिए क्योंकि दुध बिना बर्तन के गर्म नहीं होगा। बर्तन जलेगा तभी दूध गर्म होगा उसी प्रकार शरीर में पीड़ा होगी तभी आत्मा तृप्त होगी। इसी प्रकार शरीर से होकर ही भजन सिमरन आत्मा तक पहुचता है।

🙏☺️ राधा स्वामी जी ☺️🙏

26. राधा स्वामी जी ☺️🙏

भजन में लगाया गया प्रत्येक पल अपनी मंजिल के नजदीक ले जाता है 
और हमारे कर्मो के भारी बोझ को हल्का करता है | अपने कर्मो का एक 
अंश ही हमें इस जीवन में भुगतना पड़ता है, क्योकि हमारे अधिकांश कर्मो का हिसाब भजन के द्वारा चुकाया जा सकता है | इसलिये पूरी लगन के साथ जितना ज्यादा समय हम भजन को देंगे उतनी ही जल्दी हमारे कर्मो का कर्ज अदा होगा | इस प्रकार हमारा आवागमन के चक्र से छुटकारा हो जायेगा और हम अन्त में परमात्मा में-स्थायी आनंद के सागर में-समा जायेंगे | 

हजुर महाराज जी 
सन्तमत दर्शन -2 
 पत्र -114

🙏☺️ राधा स्वामी जी ☺️🙏 

27. राधा स्वामी जी संगत सारी नू बाबा जी दी प्यारी नू ☺️🙏

मालिक को सेवा की जरूरत नही होती वह तो इस सृष्टि का रचयिता हैं। वह तो सारे काम स्वयं कर सकता हैं। मालिक हमें सेवा इसलिए बक्शता हैं ताकि हम सेवा करके अपने आप को नम्र बना सके, अपने अंदर नम्रता ला सके। और प्रेम की भावना जाग्रत कर सके।    

🙏☺️  राधा स्वामी जी ☺️🙏 

28. मत करना अभिमान खुद पर ऐ इन्सान ! तेरे और मेरे जैसे कितनो को ईश्वर ने माटी से बनाकर माटी में मिला दिया !
 Guru Pyari Sadh Sangat ji Radha Swami Ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻






Radha swami satsang schedule 2020

Radha Soami Ji





Urgent Update - Please read below message and share with as much sangat as possible.

There is a msg being spread to seek donation in name of RSSB Beas. Please dont make any donation or charity. The message should look something like below.

https://youtu.be/W-0e74xRSSE

राधा स्वामी जी🙏🏻

ज़रूरी सूचना - कृपया ध्यानपूर्वक पढ़े और ज़्यादा से ज़्यादा संगत से सांझी करें।

एक message के ज़रिए RSSB Beas के नाम पर दान पुण्य लेने की कोशिश की जा रही है, सभी से विनती है कि सावधान रहें, ऐसे किसी भी ग्रूप पर कोई सेवा ना दें, डेरे द्वारा ऐसे सेवा लेने का कोई प्रयतन नहीं किया गया!

नीचे दिया गया मेसिज उसी मेसिज का एक नमूना है।

Dear Brother,

Donations made to following societies (1 and 2 below) are eligible for deduction under section 80G of the Income Tax Act, 1961. You can send your Sewa through Crossed cheque/Demand Draft drawn on any of the Society at the following address:

The Secretary,
RADHA SOAMI SATSANG BEAS,
P.O. Dera Baba Jaimal Singh,

Beas, Distt Amritsar – Punjab

PIN: 143204

OR remit online through NEFT/RTGS direct to any of the Bank Accounts from your Local Indian Bank/NRO ACCOUNT in INR listed hereunder:

1.       RSSB EDU AND ENVIRONMENTAL SOCIETY

·         Canara Bank, DBJS;  Saving Bank Account No. 2338101013588;
IFS Code – CNRB0002338

·         Punjab National Bank, DBJS; Saving Bank Account No. 3505000100135762;
IFS Code – PUNB0652800

·         HDFC Bank Ltd, DBJS; Saving Bank Account No 26681450000015;
IFS Code – HDFC0002668

2.       MAHARAJ JAGAT SINGH MEDICAL RELIEF SOCIETY

·         Canara Bank, DBJS; Saving Bank Account No 2338101004779;
IFS Code – CNRB0002338

·         Punjab National Bank, DBJS; Saving Bank Account No 3505000100012801;
IFS Code – PUNB0652800

·         HDFC Bank Ltd, DBJS; Saving Bank Account No 26681450000032;
IFS Code – HDFC0002668

Sewa to Radha Soami Satsang Beas is not eligible for deduction under section 80G of the income tax. The Bank Details of RSSB are mentioned hereunder:

3.      RADHA SOAMI SATSANG BEAS

·         Canara Bank, DBJS; Saving Bank Account No 2338101004774;
IFS Code – CNRB0002338

·         Punjab National Bank, DBJS; Saving Bank Account No 3505000100000013;
IFS Code – PUNB0652800

·         HDFC Bank Ltd, DBJS; Saving Bank Account No 26681450000049;
IFS Code – HDFC0002668

Further, it is requested that after remittance, remittance information (e.g. Name, Amount and IFS Code of your Bank Branch) may kindly be emailed to sewa@rssb.in / sewa@mjsmrs.in to enable us to send you the donation receipt without any delay.

Kindly provide the complete particulars of remittance along with your Name, Father/Husband’s Name, Address, email address, mobile phone and PAN for issuance of receipt.

With Radha Soami Greetings





                                                     https://youtu.be/W-0e74xRSSE
NAGPUR NEXTNMC NMC readies one of country’s biggest quarantine centres with 5000 beds in just 8 days in Nagpur.
Nagpur Municipal Corporation (NMC), with the help of Shri Radhaswami Satsang Trust Beas, readied a 5000-bed ‘COVID-19 Care Centre’ at Radha Soami Satsang Beas, Fetri to fight against COVID-19. The centre, which is going to be used for quarantine facility and screening, was completed in a span of just eight days.

Manish Soni, PRO at NMC, told Nation Next, “This is the biggest quarantine centre in Maharashtra and one of the biggest in India




मेरा हर त्यौहार बाबा जी से है..
"रक्षा बंधन"....डोर नाम की बाँधी है।
"होली"...नाम रंग में रंग दिया।
"जन्म अष्टमी"..बाबा जी ने
नाम देकर नया जन्म दिया।
"दिवाली"..रौशनी की नई राह दिखाई
"ईद"...खुद चाँद है बाबा जी।
"फ्रेंडशिप डे"..दोस्त से बड़कर
है बाबा जी...
"फादर्स डे"..पिता की तरह
गलत काम से रोकते है
"मदर्स डे"..माँ की तरह
ख्याल रखते है
"वेलेंटाइन डे"..इस दुनियाँ में
सबसे सच्चा प्यार करते है..
फिर क्यों न शुक्र करूं में उसका।

                                                  https://youtu.be/L2vpijrDpKg




मानव मन की अवस्था : 

रात के अँधेरे से डरते हें
निरंकार से क्यू नही..?
सपनो से डरते हें
सतगुरु से क्यू नही..?
बिच्छु से डरते हें
गुनाहों से क्यू नही..?
स्वर्ग में जाना चाहते हें
सत्संग में क्यू नही..?
रिश्वत देते हें
सेवा क्यू नही..?
मनमत पर चलते हें
गुरुमत पर क्यू नही..?
गाने गाते हें
शब्द क्यू नही..?
सत्संग सुनते हें
अमल करते क्यू नही..?




अनमोल वचन ●
☆ चिंता न करो ☆

¤ एक सत्संगी के लिए चिंता करना अपने सतगुरू और उसकी तरफ से हमारी देख भाल करने की योग्यता के विश्वास को तोडना है ।

¤ अगर फर्ज को पूरी ईमानदारी और पूरी योग्यता से निभा रहे हैं, तो अपने बच्चों , अपने कारोबार , अपने कामकाज , अपने सम्बन्ध , संसार , शांति , आतंकवाद , अपनी सेहत , अपनी हैसियत , रहन-सहन आदि की चिंता नहीं करनी चाहिए ।

¤ अगर हम चिंता करते हैं तो हम बेईमान हैं । वो कहता है चिंता ना करो अगर हमें चिंता करनी है तो "भजन और सिमरन" की चिंता करनी है ।

¤ जो कुछ भी हमने करना है वो एक झटके में कर देना है । जो किस्मत में लिखा है वो जरूर होगा ।

¤ अपनी जिन्दगी में ओर घटना नहीं होगी जो कुछ भी घटा है या घट रहा है या घटेगा वह उसकी इच्छा अनुसार ही है।

हजुर महाराज श्री चरन सिंह जी..




बुल्ले शाह कहते हैं...

उस दे नाल यारी कदी ना रखियो,
जिस नू अपने ते गुरूर होवे...

माँ बाप नू बुरा ना अखियो,
चाहे लाख उन्हां दा क़ुसूर होवे...

राह चलदे नू दिल न दैयो,
चाहे लख चेहरे ते नूर होवे

ओ बुल्लेया दोस्ती सिर्फ उथे करियो,
जिथे दोस्ती निभावन दा दस्तूर होवे..!!

🙏☺️ राधा स्वामी जी ☺️🙏https://youtu.be/O5uEYvO6HWo




एक सत्संगी के लिए चिंता करना अपने सतगुरू और उसकी तरफ से हमारी देख भाल करने की योग्यता के विश्वास को तोडना है ।

¤ अगर फर्ज को पूरी ईमानदारी और पूरी योग्यता से निभा रहे हैं, तो अपने बच्चों , अपने कारोबार , अपने कामकाज , अपने सम्बन्ध , संसार , शांति , आतंकवाद , अपनी सेहत , अपनी हैसियत , रहन-सहन आदि की चिंता नहीं करनी चाहिए ।

¤ अगर हम चिंता करते हैं तो हम बेईमान हैं । वो कहता है चिंता ना करो अगर हमें चिंता करनी है तो "भजन और सिमरन" की चिंता करनी है ।

¤ जो कुछ भी हमने करना है वो एक झटके में कर देना है । जो किस्मत में लिखा है वो जरूर होगा ।

¤ अपनी जिन्दगी में ओर घटना नहीं होगी जो कुछ भी घटा है या घट रहा है या घटेगा वह उसकी इच्छा अनुसार ही है।

हजुर महाराज श्री चरन सिंह जी..
https://youtu.be/W-0e74xRSSE




बाबा जी कहते हैँ।
सिमरण आप करो रास्ता हम बनायेगेँ।
खुश आप रहो खुशियाँ हम दिलायेगेँ।
आप गुरु की सँगत से जुड़े रहे।
साथ हम निभायेगे

🙏☺️ राधा स्वामी जी ☺️🙏



https://youtu.be/CBMykq0BcRs


राधास्वामी जी

हर  नामें  तुल  न  पुजई सभु  दिठी  ठोक  बजाय सच्चे  नाम  के  सिवा  कोई  पूजा  नहीं । चाहे  कितने  पुन्य  दान  करो , मंदिरों ,  मस्जिदो...